14 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

स्कूल से घर लौट रही छात्रा के साथ 2 आरक्षकों ने किया था शर्मनाक काम, कोर्ट ने दोनों को दी ये सजा

वर्ष 2009 में छात्रा को रास्ते में रोक कर 3 दिन तक दोनों आरक्षकों ने की थी छेडख़ानी, 9 साल बाद कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

2 min read
Google source verification
School girl

School girl

मनेंद्रगढ़. स्कूल से घर लौट रही नाबालिग छात्रा का रास्ता रोक कर 2 आरक्षक छेडख़ानी करते थे। इनमें से एक आरक्षक ने उसके सामने शादी का प्रस्ताव भी रखा था। छात्रा द्वारा इनकार किए जाने पर उसका हाथ भी पकड़कर छेड़छाड़ की थी। मामला सितंबर 2009 का है। आरक्षकों की करतूत से तंग छात्रा ने इसकी जानकारी अपने परिजन को दी थी।

फिर दोनों के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई। मामले में न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया था। इसमें करीब 9 साल बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी ने 29 सितंबर को अहम फैसला सुनाया।

न्यायाधीश ने दोनों आरक्षकों को धारा 354, 34 के तहत 6-6 वर्ष के सश्रम कारावास और 5-5 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माने की राशि अदा नहीं करने की स्थिति में दोनों को 3-3 माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी।

कोरिया जिले के मनेंद्रगढ़ के केल्हारी थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम केवटी निवासी एक छात्रा वहीं के मिडिल स्कूल में पढ़ती थी। वह पैदल आना-जाना करती थी। 8 सितंबर 2009 को छुट्टी के बाद वह स्कूल से घर लौट रही थी।

वह गांव के नाले के पास पहुंची ही थी कि पीछे से बाइक सवार 2 आरक्षक समीर जायसवाल पिता बिजेंद्र 30 वर्ष व राजेश गुप्ता पिता हीरालाल 28 वर्ष वहां पहुंचे। दोनों ने छात्रा का नाम पूछा और चले गए। दूसरे दिन उसी स्थान पर दोनों आरक्षक फिर पहुंचे। इस दौरान आरक्षक समीर ने छात्रा से कहा कि वह उससे शादी करना चाहता है तथा उसे अच्छे से रखेगा।

छात्रा ने इस बात का कोई जवाब नहीं दिया और घर चली गई। तीसरे दिन 10 सितंबर को आरक्षकों ने उसका हाथ पकड़कर छेड़छाड़ करने लगे। इस पर छात्रा चिल्लाने लगी तो दोनों वहां से भाग निकले।


घर जाकर बताई पूरी बात
आरक्षकों के चंगुल से छूटकर छात्रा अपने घर पहुंची और परिजनों को पूरी बात बताई। 11 सितंबर को वह परिजनों के साथ केल्हारी थाने पहुंची और आरक्षकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई।

इस दौरान वहां के स्टाफ ने उनसे समझौता करने की बात कर रिपोर्ट दर्ज नहीं की। इसके बाद 7 अक्टूबर 2009 को पुलिस अधिकारी के समक्ष मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई गई। इसमें दोनों आरक्षकों के खिलाफ धारा 354 के तहत जुर्म दर्ज किया गया।


6-6 माह के सश्रम कारावास की सजा
दोनों आरक्षकों के खिलाफ न्यायिक मजिस्टे्रट प्रथम श्रेणी के न्यायालय में सुनवाई हुई। इसमें 29 सितंबर 2018 को मजिस्ट्रेट एमके राज ने दोनों आरक्षकों के खिलाफ अहम फैसला सुनाया।

उन्होंने दोनों आरक्षकों को धारा 354, 34 के तहत 6-6 वर्ष के सश्रम कारावास और 5-5 हजार का जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माने की राशि अदा नहीं करने की स्थिति में दोनों को 3-3 माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी।


बड़ी खबरें

View All

कोरीया

छत्तीसगढ़

ट्रेंडिंग