
Ashwin with his parents
बैकुंठपुर. ऐसे ही नहीं कहते कि 'मां का दर्जा भगवान से भी ऊंचा होता है।' ऐसा ही कुछ कोरिया जिले के बैकुंठपुर ब्लॉक के ग्राम रामपुर, पटना निवासी सुनीता साहू ने कर दिखाया है। उसके 4 वर्षीय मासूम बेटे का लीवर खराब था। आर्थिक तंगी से जूझ रहे इस परिवार ने पूरी जमा पूंजी लगा दी थी। इसके बाद भी बेटे के इलाज में लाखों रुपए खर्च होने थे।
ऐसे में श्रममंत्री की पहल पर सीएम ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखा। इसके बाद उन्होंने बच्चे का दिल्ली में लीवर ट्रांसप्लांट कराने 14 लाख रुपए स्वीकृत किए। सोमवार को इंस्टीट्यूट ऑफ लीवर एण्ड बिलयारी सांइस नई दिल्ली में मासूम का लीवर ट्रांसप्लांट सफल रहा। यहां यह बात उल्लेखनीय है कि मासूम अश्विन की मां ने अपना एक लीवर बच्चे को दिया।
बेटे को अब अच्छी स्थिति में देख उसके चेहरे पर सुकून है। श्रम खेल एवं युवा कल्याण मंत्री भइयालाल राजवाड़े ने ऑपरेशन से पहले मां-बच्चे के तीन साल तक सारी दवाइयां-उपचार का खर्च वहन करने 10 लाख का बाण्ड भरा और अस्पताल प्रबंधन को सौंपा है।
बैकुंठपुर ब्लॉक के ग्राम रामपुर, पटना निवासी 4 वर्षीय अश्विन साहू पिता राजपाल साहू का लीवर बचपन से ही खराब था। इसे लेकर मां सुनीता व पिता चिंतित रहते थे। मजदूरी कर यह परिवार अपना जीवन-यापन कर रहा था। लीवर ट्रांसप्लांट के लिए लाखों रुपए की जरूरत थी जो इस परिवार के बस की बात नहीं थी।
यह बात जब श्रम मंत्री भैयालाल राजवाड़े के कानों तक पहुंची तो उन्होंने इसके लिए पहल की। उनके कहने पर मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह व केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने 14 लाख रुपए की स्वीकृति दी थी। इसके बाद दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ लीवर एण्ड बिलयारी सांइस में सोमवार को अश्विन का सफलतापूर्वक लीवर प्रत्यारोपण किया गया।
उसकी मां सुनीता साहू ने अपना लीवर प्रत्यारोपण के लिए दिया। उसने यह साबित कर दिखाया कि मां का दर्जा भगवान से भी ऊंचा होता है। श्रममंत्री राजवाड़े ने पहल कर गरीब परिवार को दिल्ली में इलाज के लिए रहने की सुविधा भी दिलाई। इससे गरीब माता-पिता अपने बच्चे के इलाज के लिए दिल्ली के बसंत कुंज में किराए के मकान में ढाई महीने से निवास कर रहे हैं।
ऑपरेशन के बाद दवाइयों में होगा 10 लाख खर्च
इंस्टीट्यूट ऑफ लीवर एण्ड बिलयारी सांइस के डॉक्टर्स के अनुसार लीवर प्रत्यारोपण के बाद बच्चे की दवाइयों पर करीब दस लाख का खर्च आएगा। श्रममंत्री राजवाड़े ने पूरी खर्च वहन करने का आश्वासन दिया और अस्पताल प्रबंधन को 10 लाख रुपए का बाण्ड भरकर सौंपा है।
वहीं मुख्यमंत्री डॉ सिंह कुछ महीने पहले कोरिया प्रवास पर आए थे। इस दौरान श्रममंत्री की मदद से उनकी मुलाकात कराई गई थी और मुख्यमंत्री ने संजीवनी कोष से बच्चे की प्रारंभिक डॉक्टरी जांच के लिए तत्काल 1 लाख 50 हजार रुपए की मंजूरी दी थी।
सीएम व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को धन्यवाद
बालक के सफल ऑपरेशन के लिए मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को धन्यवाद देता हूं। उन्होंने मासूम बालक के उपचार के लिए त्वरित सहायता प्रदान की। इससे साफ जाहिर है कि छत्तीसगढ़ की सरकार गरीबों की सरकार है, जो हर गरीब की सुनती है और मदद करती है।
भइयालाल राजवाड़े, श्रम खेल एवं युवा कल्याण मंत्री
Published on:
10 Jul 2018 07:36 pm
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