
Postmaster in police custody
मनेंद्रगढ़. कोरिया जिले के जनकपुर उप डाकघर के बचत खाता, आरडी खाता से 1 करोड़ 50 लाख की राशि फर्जी तरीके से लोन के नाम पर निकालने वाले मुख्य आरोपी डाक पाल को गिरफ्तार किया गया है। वह काफी दिनों से फरार चल रहा था। पुलिस चार जिले में मुखबिर तैनात कर उसकी सरगर्मी से तलाश रही थी।
अंबिकापुर में आने की सूचना पर दबिश देकर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी डाकपाल ने जनता की गाढ़ी कमाई 2 महीने में उड़ा दिए थे। 2 महीने में ही वह करोड़पति बन गया था।
एएसपी निवेदिता पाल शर्मा ने मनेंद्रगढ़ में आयोजित प्रेसवाता में कहा कि आरोपी डाकपाल राकेश सिन्हा ने फर्जी तरीके से लोन निकालने के नाम पर जनता की जमा राशि 1 करोड़ 50 लाख निकाली थी। मामले की शिकायत मिलने पर आरोपी के खिलाफ धारा ४०९, ४२०, ४६७, ४६८, ४१७ के अपराध दर्ज कर विवेचना में लिया गया था।
पुलिस ने एसडीओपी अनुज गुप्ता के नेतृत्व में आरोपी को पकडऩे के लिए डाक विभाग की जांच रिपोर्ट हासिल कर कोरिया, सूरजपुर, अंबिकापुर, बलरामपुर, रामानुजगंज में मुखबिर तैनात किया था। पुलिस टीम को मुखबिर के माध्यम से मंगलवार को अंबिकापुर में आरोपी के होने की जानकारी मिली।
इस पर पुलिस टीम ने छापामार कार्रवाई कर आरोपी डाकपाल को गिरफ्तार कर लिया। कार्रवाई में मनेंद्रगढ़ प्रभारी विमलेश दुबे, क्राइम ब्रांच प्रभारी शिवेंद्र राजपूत, जनकपुर उप निरीक्षक साकेत बंजारे, एएसआई राजेंद्र सिंह, आशीष मिश्रा, दीपक पाण्डेय, पुष्कल सिन्हा, मुमताज खान, सलीम मलिक, अरविंद कौल, सविता बेक, जुगल प्रसाद कौल सहित अन्य शामिल थे।
गबन का 26.75 लाख सरेंडर, बड़े अफसरों का हाथ होना स्वीकारा
एएसपी शर्मा ने कहा कि आरोपी डाक पाल ने गबन की 26 लाख 75 हजार 610 रुपए डाक विभाग में जमा करना स्वीकार किया है। वहीं आरोपी ने 1 करोड़ 50 लाख के फर्जीवाड़ा में डाक विभाग के बड़े अफसरों के संलिप्त होना कबूल किया है। मामले में फर्जीवाड़ा की जांच जारी है। हालांकि पुलिस ने डाकघर की जांच के बाद कार्रवाई नहीं होने से बड़े अफसरों की मिलीभगत की आशंका जताई थी। अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि ऐसा प्रतीत होता है कि विभाग के अन्य अधिकारी-कर्मचारी अपराध में संलिप्त हंै।
सिर्फ दो महीने में 70 आरडी खाते से निकाले थे 1 करोड़ 28
प्रार्थी महेश प्रसाद वर्मा ने 20 अप्रैल 2013 को उप डाक घर जनकपुर में अभिकर्ता विनय तिवारी के माध्यम से 6000 रुपए प्रति महीने जमा करने आरडी खाता क्रमांक 49307 खुलवाया था। 20 सितंबर 2016 को तीन साल बाद खाता की अवधि पूरी हो गई थी।
22 सिबंर 2016 को पासबुक लेकर उप डाकघर जनकपुर में अपना जमा पूंजी निकालने गया था। इस दौरान डाकघर पदस्थ प्रभारी ने पास बुक जमा करा लिया और चार दिन बाद आने की बात कही थी। निर्धारित तिथि के बाद पुन: डाकघर जाने पर अभी पैसा नहीं आने का बहाना बनाकर चलता कर पास बुक भी लौटा दिया गया। जिससे 6 अक्टूबर 2016 को राशि आने की जानकारी लेने उप डाक घर गया था।
जहां पदस्थ प्रभारी ने साफ तौर पर कह दिया कि अपना पैसा राकेश सिन्हा से ले लिजिए, जो मेरे से पहले पदस्थ था। मैं अपनी जेब से पैसा नही दूंगा। मामले में पीडि़त ने थाना में शिकायत कर जमा पंूजी दिलाने और दोषी पर कार्रवाई की गुहार लगाई थी। शिकायत पर पुलिस ने पीडि़त सहित हीरालाल वर्मा, विनय तिवारी, दिलीप कुमार बखरे, चन्द्रकांत कपूर का बयान दर्ज किया।
जिसमें तत्कालीन उप डाकपाल राकेश सिन्हा द्वारा करीब 70 खातेदार के आरडी खाते से भारी रकम का गबन करना पाया गया और पुलिस ने 17 मई 2017 को आरोपी के खिलाफ अपराध दर्ज कर विवेचना में लिया था। प्रार्थी ने पुलिस को बताया कि तबादला होने से पहले मार्च-अप्रैल 2016 में दो महीने में फर्जी तरीके से करीब 70 खातेदार के आरडी खाते से 1 करोड़ 28 लाख का गबन कर लिया था।
खातेधारकों ने जगह-जगह शिकायत दर्ज कराई, लेकिन आरोपी उप डाकपाल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी थी। प्रार्थी के पास बुक पड़ा है। उसमें 1 लाख 59 हजार रुपए जमा है लेकिन उस पैसे का भुगतान उप डाकघर जनकपुर नहीं कर रहा था। वहीं करीब ७० खातेधारक का पैसा जाम हो गया है।
रिकवरी का दावा कर भूल गए कार्रवाई करना
पुलिस के अनुसार आरडी खाते से फर्जीवाड़ा करने के मामले में अंबिकापुर-बैकुंठपुर की संयुक्त टीम ने जांच की थी। विभागीय जांच पूरी होने और जांच रिपोर्ट पूरी होने के पांच महीने के बाद आरोपी उप डाकपाल के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकी थी। डाक विभाग ने दावा किया था कि तत्कालीन डाकपाल ने 1 करोड़ 28 लाख राशि फर्जी तरीके से आहरित कर ली है। जिसका पूरा रिकार्ड खंगाला गया है और आरोपी उप डाकपाल से पूरी रिकवरी की जाएगी।
जनकपुर पुलिस ने प्रार्थी की शिकायत पर रिपोर्ट में लिखा था कि फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद बैकुंठपुर और अंबिकापुर के डाक निरीक्षक ने उप डाकघर जनकपुर आकर सभी खाते की जांच की थी। जिसमें आरडी के 70 खाते से फर्जी तरीके से राशि आहरित की गई थी।
निरीक्षकों ने लिखित में बयान दर्ज कराया और आरोपी डाकपाल से पैसा वसूलने का आश्वासन दिया था। वहीं आरोपी के खिलाफ डाक विभाग एफआईआर दर्ज कराएगा। लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी आरोपी उप डाकपाल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
Published on:
13 Jun 2018 06:25 pm
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