
कोटा. हाड़ौती में स्क्रब टायफस, डेंगू व स्वाइन फ्लू कहर बरपा रहा है। मंगलवार को 3 की मौत हो गई है।
कोटा. हाड़ौती में स्क्रब टायफस, डेंगू व स्वाइन फ्लू कहर बरपा रहा है। लगातार मौतों का सिलसिला जारी है। सोमवार को तलवंडी निवासी 37 वर्षीय मेघा जैन की स्क्रब टाइफस के कारण मल्टी आर्गन फैल्योर होने से मौत हो गई थी। इसके बाद मंगलवार को भी स्क्रब टायफस व डेंगू से एक युवक व स्वाइन फ्लू से दो महिलाओं की मौत हो गई है। मृतकों में बूंदी, झालावाड़ व रामगंजमंडी निवासी महिला शामिल हैं।
चिकित्सा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, बूंदी जिले के बरुंधन निवासी युवक (20) को 2 सितम्बर को एमबीएस हॉस्पिटल के मेडिकल आईसीयू में भर्ती कराया गया था। उसकी स्क्रब टायफस व डेंगू की जांच कराई गई। जिसमें पॉजीटिव रिपोर्ट आई, लेकिन मंगलवार को शाम 4 बजे उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। वहीं बारां जिले की एक महिला भी स्क्रब टायफस से पीडि़त मिली है। ये भी एमबीएस में भर्ती है।
स्वाइन फ्लू से दो की मौत
झालावाड़ जिले के कनवासा पंचायत समिति की टुंगनी निवासी 25 वर्षीय महिला और चेचट ब्लॉक के चन्द्रपुरा गांव निवासी 45 वर्षीय महिला को झालावाड़ एसआरजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके स्वाब की कोटा में जांच की गई। जिसमें वे स्वाइन फ्लू पॉजीटिव मिली। दोनों की उपचार के दौरान मंगलवार को मौत हो गई।
डेंगू व स्वाइन फ्लू के मामले बराबर
कोटा संभाग में डेंगू व स्वाइन फ्लू के मामले बराबर सामने आ रहे है। प्रतिदिन करीब 7 से 8 मरीज रोज आ रहे है। मंगलवार को भी स्वाइन फ्लू के 8 मामले सामने आए। इनमें कोटा के 5, झालावाड़ 2 व बूंदी का 1 रोगी शामिल है। डेंगू के 10 रोगियों में कोटा में 7, बारां, झालावाड़ व सवाई माधोपुर का 1-1 रोगी शामिल है।
वायरस नहीं बैक्टीरियल इंफेक्शन
मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. मनोज सलूजा ने बताया कि स्क्रब टाइफस के जीवाणु जिसे रिकेटशिया कहते हैं, यह संक्रमित माइट (पिस्सू) से फैलता है। इस बैक्टीरिया से संक्रमित पिस्सू झाडिय़ों, खेतों, घास में रहते हैं, व्यक्ति के संपर्क में आने पर उसे काट लेते हैं। काटने के बाद संक्रमित बैक्टीरिया रिकेटशिया चमड़ी के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। इसके बाद 48 से 72 घंटों में इसके असर से स्क्रब टाइफस बुखार पीडि़त को हो जाता है। यह बीमारी बरसात के समय या इसके बाद कुछ माह में तेजी से फैलती है।
आगे मल्टी आर्गन फैल्योर का खतरा
इस बीमारी में आगे जाकर मरीज को पीलिया, पेट व फैफड़ों पानी एकत्र होना, फैफड़ों में इंफेक्शन जैसी शिकायत हो जाती है। साथ ही वह बेहोश हो जाता। इसके बाद उसका श्वसन तंत्र कमजोर होने से वेंटीलेटर सपोर्ट तक भी देना पड़ता है। साथ ही किडनी, लीवर, हार्ट व ब्रेन के इंवोल्व होने से मल्टीआर्गन फैल्योर हो जाता है। जिससे मरीज की मृत्यु भी हो जाती है।
पैर पर छोटा घाव व बुखार है लक्षण
डॉ. सलूजा ने बताया कि पैर पर छोटा घाव व बुखार ही इस बीमारी का प्रारंभिक लक्षण है। इसके बाद 104 से 105 डिग्री तक बुखार आता है, उसे कंपकपी, जोड़ों में दर्द, शरीर का टूटना, ऐंठन आने लगती है।
सुस्त होता है मरीज
इस बीमारी की दूसरी स्टेज में मरीज को पीलिया हो सकता है, उसे पेशाब कम आना, स्वयं व मस्तिष्क का सुस्त हो जाना और शरीर में सूजन भी आने लग जाती है। कई मरीजों में डेंगू की तरह प्लेटलेट्स भी कम हो जाती है।
यह है बचाव के प्रयास
घर के आसपास घास व खरपतवार को न उगने दें।
नंगे पैर घास पर नहीं चले।
घर के आसपास के इलाके को साफ रखें।
पूरी बांह के कपड़े ही पहनें।
कीटनाशक दवाओं का छिड़काव घर के आसपास जरूर करें।
जंगल के रास्ते व खेतों में काम करते समय अपने हाथ पैरों को अच्छे से ढंक कर रखें।
Updated on:
12 Sept 2017 10:25 pm
Published on:
12 Sept 2017 10:17 pm
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