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Mysterious Deaths: कोटा के सीने में दफन हैं वो 58 मौतों का रहस्य, पर्दा उठा तो हिल जाएगी राजस्थान सरकार…जानिए क्या है वो रहस्य

कोटा के सीने में दफन है ऐसे रहस्य जो खुल जाए तो राजस्थान सरकार के पहिए डगमगा जाएंगे। जानते हैं क्या है वो रहस्य।

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कोटा

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Zuber Khan

Dec 16, 2017

Mysterious Deaths

कोटा . शहर में डेंगू व अन्य मौसमी बीमारियों के कारण अब तक हुई 97 मौतों में से 58 के रहस्य से 44 गुजरने के बाद भी पर्दा उठ नहीं पाया है। राज्य सरकार ने इन मौतों में से सिर्फ चार का कारण डेंगू माना, वहीं 25 रोगियों की स्वाइन फ्लू व 10 की स्क्रब टायफस से मानी। बाकी की मौत कैसे हुई, इसका जवाब तलाशने के लिए चिकित्सा मंत्री ने कोटा में निगमायुक्त डॉ. विक्रम जिंदल की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई थी, लेकिन सवा माह बाद भी जांच कमेटी मौतों से पर्दा नहीं उठा पाई। यही नहीं, कमेटी की बैठकें तक नहीं हुई। शहरवासी इंतजार ही कर रहे हैं। इसके अलावा भी चिकित्सा मंत्री के दिए निर्देश हवा हवाई ही साबित हुए।

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ये मंत्री के निर्देश
1. निगमायुक्त डॉ. जिंदल की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया था
2. सारे चिकित्सकों के डेपुटेशन व छुट्टियां निरस्त कर दी गई हैं।
3. पोस्टिंग स्थल पर रात रहना होगा डॉक्टर्स को।
4. मेडिकल कॉलेज अस्ताल में दस दिन में ब्लड कम्पोनेंट सेपरेशन यूनिट स्थापित कर एफेरेसेस मशीनें खरीदी जाएंगी।


व्यवस्था का ठेंगा

1. जांच कमेटी 7 दिन की बात तो छोड़ें, 44 दिन में भी रिपोर्ट नहीं दे पाई।
2. नहीं निरस्त हुए चिकित्सकों के डेपुटेशन, छुट्टियां जरूर निरस्त की गई।
3. पोस्टिंग स्थल पर भी नहीं ठहरा पाए चिकित्सकों को।
4. नहीं बनी मेडिकल कॉलेज अस्ताल में ब्लड कम्पोनेंट यूनिट, एफेरेसेस मशीनें नहीं खरीदी गई।

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दस्तावेज व रजिस्टर खंगाले
पिछले दिनों कमेटी ने इन मौतों की जांच शुरू की। कमेटी ने निजी अस्पतालों व मृतकों के परिजनों से बीमारियों को लेकर दस्तावेज मांगे। निगम के रजिस्टर में दर्ज मृतकों से जुड़ी जानकारियों को भी देखा। इसके बाद जांच आगे नहीं बढ़ पाई।

एक बार भी नहीं हुई पूर्ण कमेटी की बैठक
कमेटी अध्यक्ष निगमायुक्त ने दो बार अपने चैम्बर में सीएमएचओ को बुलाकर निर्देश दिए। शेष सदस्यों को नहीं बुलाया। इस कारण आगे का निर्णय नहीं हो पाया। इसी बीच सीएमएचओ को बीमार होने के कारण छुट्टियों पर चले गए। जांच आगे नहीं बढ़ पाई। अध्यक्ष्रा ने अपने स्तर पर कोई प्रयास नहीं किए।

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ये हैं कमेटी में
निगमायुक्त डॉ. विक्रम जिंदल की अध्यक्षता में गठित कमेटी में सीएमएचओ डॉ. आरके लवानिया, डॉ. मनोज सलूजा, डॉ. एसके गोयल शामिल हैं।

बवाल मचा तो आए थे चिकित्सा मंत्री
डेंगू के महामारी का रूप लेने से मचे बवाल के बाद गत २ नवम्बर को चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ कोटा आए थे। तब मेडिकल कॉलेज सभागार में अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की बैठक में विधायकों ने डेंगू से हुई मौतों पर गंभीर सवाल उठाए थे। उस दिन मंत्री ने डेंगू से चार मौतों की जानकारी दी थी। विधायकों के विरोध के बाद मंत्री ने पांच सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर सात दिन में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे। सवा माह बीत गया, लेकिन हालत यह कि कमेटी ने मृतकों के दस्तावेज तक नहीं जुटाए अब तक। कमेटी को मौतों के मामले में क्षेत्रीय विधायकों से भी सम्पर्क करना था, लेकिन वह भी नहीं किया गया।

यूआईटी भी मुकरी नहीं उपलब्ध कराई गई फोगिंग मशीनें
नवम्बर में डेंगू मामले में समीक्षा करने के लिए आए मंत्री सराफ की मौजूदगी में यूआईटी चेयरमैन ने पांच मशीन मेडिकल डिपार्टमेंट को उपलब्ध कराने की बात कही थी। इसी सिलसिले में मेडिकल डिपार्टमेंट ने यूआईटी को पत्र भेजकर निगम को उपलब्ध कराने की याद भी दिलाई, लेकिन निगम में फोगिंग मशीनें नहीं पहुंची।


जिम्मेदारों का तर्क


कम्पोनेंट यूनिट : फिलहाल रोक दी
न्यू मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ. देवेन्द्र विजयवर्गीय ने बताया कि कम्पोनेंट यूनिट स्थापित की जानी थी, लेकिन फिलहाल उसे रोक दिया। उसे सुपरस्पेशलिटी में शामिल किया है। यह एमबीएस के लिए ट्रांसफर कर दी गई। वहां एमआरएस से अनुमति दे दी। हम एलाइजा मशीन खरीदेंगे, इसका वर्क ऑर्डर जारी कर दिया।

एफेरेसेस मशीन : जल्द आएंगी
एमबीएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. पीके तिवारी ने बताया कि हमने १९ लाख की लागत से आने वाली एक एफेरेसेस मशीन का वर्क ऑर्डर दे दिया है।

मौतों की जांच : छुट्टियों पर था
सीएमएचओ डॉ. आरके लवानिया ने बताया कि बीमारी से छुट्टियों पर होने के कारण आगे की कार्रवाई नहीं हो पाई है। जल्द इस संबंध में कार्रवाई करेंगे।