
कोटा .
नगर निगम की ओर से सर्वे के मुकाबले आधे से भी कम शौचालय बनाने और शहर को ओडीएफ घोषित करने का मामला गुरुवार को विधानसभा में उठा। विधायक संदीप शर्मा ने सदन में कहा कि निगम के अधिकारियों ने मिलीभगत कर शहर को ओडीएफ घोषित करा दिया है, सरकार इसकी जांच करवाए। उन्होंने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का मसला उठाते हुए कहा कि प्रोजेक्ट के कार्य धीमी गति से चल रहे हैं। कार्यों में अधिकारी जनप्रतिनिधियों की राय तक नहीं लेते।
विधायक ने सदन में शून्यकाल में नियम 295 विशेष उल्लेख के तहत मसला उठाते हुए कहा कि निगम क्षेत्र में अभी लक्ष्य से आधे शौचालय भी नहीं बन पाए हैं। निगम की ओर से दिसम्बर तक 4680 शौचालयों का ही निर्माण किया गया, जबकि कोटा शहर में अभी भी लगभग 12 हजार परिवार शौचालय विहीन हैं। अधिकारियों ने मिलीभगत कर शहर के सभी वार्ड ओडीएफ दिखा दिए, इसकी तो जांच करनी चाहिए।
सफाई श्रमिक लगाने में फर्जीवाड़ा भी उठाया
शर्मा ने शहर की सफाई-व्यवस्था और सफाई श्रमिकों का मसला भी उठाया। कहा कि, कचरा प्वाइंट्स से समय पर कचरा नहीं उठता। कचरा परिवहन और वार्डों में सफाई श्रमिक लगाने में गड़बड़ी चल रही है। इसकी जांच करवाई जाए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करें। शहर में डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण योजना लागू हो गई है, लेकिन पर्याप्त सफाई श्रमिक नहीं हैं। सफाई कर्मचारियों की अटकी भर्ती का मार्ग प्रशस्त करें।
स्मार्ट सिटी: ये भी उठाए सवाल
- 1387 करोड़ के 26 प्रोजेक्टों पर कार्य होना है। एक वर्ष बीत गया, कार्य गति नहीं पकड़ पाया।
- पेयजल, सीवरेज सहित बहुत सारे कार्य अभी टेण्डर प्रक्रिया में ही उलझे हैं।
- दशहरा मैदान का प्रोजेक्ट 77 करोड़ रुपए का था, लेकिन लागत बढ़कर 88 करोड़ हो गई।
- निगम और न्यास ने स्मार्ट सिटी के जो प्रस्ताव तैयार कराए, उनमें जनप्रतिनिधियों से चर्चा तक नहीं की गई। अधिकारियों ने अपने हिसाब से खाका तैयार कर दिया।
- पूरे कोटा शहर को स्मार्टसिटी की कार्य योजना में शामिल नहीं कर कुछ ही वार्डों को क्यों लिया।
Published on:
22 Feb 2018 10:09 pm
बड़ी खबरें
View Allकोटा
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
