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कोटा में बेटे के मरने से पहले पिता ने कहा था हॉस्टल वालों को, सुरक्षा जाल लगा दो बालकनी में, लेकिन नहीं सुनी..

पिता का कहना है कि वह पहले जब आए थे तो बेटे के साथ हॉस्टल में रूके थे। उन्होंने हॉस्टल वालों को बालकनी में सुरक्षा जाल नहीं होने की शिकायत की थी। बालकनी में सुरक्षा जाल लगाने के लिए कहा था।

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कोटा में छात्र की मौत का मामला सामने आया है। पीड़ित पिता का कहना है कि उनसे झूठ बोला गया कि उनका बेटा सीढ़ी से गिरकर मरा है। जबकी हकीकत यह है कि वह बालकनी से गिरकर मरा है। पिता का कहना है कि वह पहले जब आए थे तो बेटे के साथ हॉस्टल में रूके थे। उन्होंने हॉस्टल वालों को बालकनी में सुरक्षा जाल नहीं होने की शिकायत की थी। बालकनी में सुरक्षा जाल लगाने के लिए कहा था। लेकिन हॉस्टल वालों ने इस बात को हल्के में लिया। जिसका नतीजा यह हुआ कि उनके बेटे की मौत हो गई।

मामला कोटा के विज्ञान नगर का है। जहां 8 जून को एक कोचिंग छात्र की मौत का मामला सामने आया था। इस मामले में पुलिस ने लापरवाही की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। यह मुकदमा भी छात्र के पिता की शिकायत पर दर्ज किया गया है। जिसमें कोचिंग और हॉस्टल संचालक पर आरोप लगाए गए हैं। इस मामले में पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।

पिता ने एफआईआर में आरोप लगाया है कि उन्होंने 27 मई 2025 को विदिशा से कोटा आकर बच्चे का मेडिकल एंट्रेंस की पढ़ाई के लिए कोचिंग में एडमिशन करवाया था। इसके साथ ही कोचिंग ने ही उन पर दबाव बनाया कि संबंधित हॉस्टल में रहने का दबाव बनाया था। इसके बाद उन्होंने हॉस्टल में बच्चे को रख दिया। वह 30 मई तक अपने बेटे के साथ भी रहे थे। इसके साथ ही वह कमरा नंबर 632 में छठे फ्लोर पर रहता था, हमने बालकनी में सुरक्षा जाल नहीं होने की बात कही थी। जिसे हॉस्टल संचालक नहीं लगवाया, यह लापरवाही की है।

हमें पहले झूठ बोला गया कि सीढ़ी से गिर गया है, लेकिन यहां आने पर पता चला की बालकनी से गिरा है। यह झूठ संस्थान ने बोला है। छात्र के पिता ने बताया कि जिस तरह के कपड़े उसने पहने हुए थे उस पर कई निशान नहीं था। ना ही जहां वह गिरा था वहां खून था। ऐसे यह मामला संदिग्ध बताते हुए प्रकरण की जांच की मांग की है। बता दे कि सुप्रीम कोर्ट ने कोटा के एक मामले में इस तरह की घटनाक्रम पर मुकदमा दर्ज नहीं करने पर पुलिस और राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया था।