
कोटा . भ्रष्टाचार व रिश्वतरखोरी की जड़े इतनी फैल चुकी हैं कि इसने पुलिस व अन्य विभाग के नीचे से ऊपर तक के कर्मचारी-अधिकारियों को जकड़ लिया है। काली कमाई के चक्कर में कर्मचारी-अधिकारियों ने अपनी प्रतिष्ठा तक गंवाई है। हाल ही बारां व बूंदी में रिश्वत लेते पकड़े गए कांस्टेबल यशवीरसिंह जाट व ग्यारसीलाल अकेले ऐसे सिपाही नहीं हैं, जो रिश्वत लेते पकड़े गए और अब जेल की हवा खा रहे हैं।
यह तो उदाहरण मात्र हैं। काली कमाई करने के मामले में पुलिस विभाग के कांस्टेबल से लेकर आईपीएस तक शामिल हैं। इनके बीच की कड़ी हैड कांस्टेबल व उप निरीक्षक भी पीछे नहीं रहे। अधिकतर की जमानत चालान पेश होने के बाद हाईकोर्ट से हुई है, जबकि आईपीएस सत्यवीर सिंह की जमानत तो सुप्रीम कोर्ट से हुई थी।
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एसीबी की गिरफ्त में कई अन्य विभागों के अधिकारी-कर्मचारी भी आए हैं। इनमें इंजीनियर से लेकर पटवारी और परिवहन विभाग के निरीक्षक व वाणिज्यिकर विभाग के स्टेनोग्राफर तक शामिल हैं। संभाग में कोटा शहर, कोटा ग्रामीण, बूंदी, बारां व झालावाड़ में पिछले तीन साल में एसीबी में 109 मामले दर्ज हुए, जिनमें से 81 रिश्वत लेते पकड़े जाने और 28 पद के दुरुपयोग के मामले हैं।
Updated on:
31 Jan 2018 05:06 pm
Published on:
31 Jan 2018 10:31 am
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