
कोटा.
रिश्वत लेने वालों के दोषी पाए जाने पर अदालत में हर बार फैसले में यही टिप्पणी की जाती है कि 'भ्रष्टाचार रूपी दीमक समाज को खोखला कर रही है। रिश्वत लेने वालों में इसके मिलने वाले दंड का भय नजर नहीं आता। ऐसे में उनके साथ नरमी का रूख नहीं अपनाया जा सकता...।' इतनी तल्ख टिप्पणी के साथ एक तरफ अदालत रिश्वत खोरों पर शिकंजा कसती रही। इसके बावजूद दूसरी तरफ रिश्वत का खेल बोखौफ जारी रहा।
एसीबी रिश्वतखारों की धरपकड़ करती रही। वहीं दूसरी तरफ भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय भी रिश्वत खोरों को दंडित करने में पीछे नहीं रहा। एसीबी ने वर्ष 2017 में कोटा संभाग में जहां 33 जनों को रिश्वत लेते पकड़ा। वहीं भ्रष्टाचार निवारण अदालत ने 2017 में ही 36 फैसले सुनाए। इनमें से अधिकतर को सजा सुनाई। ये फैसले पुराने मामलों में सुनाए गए।
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प्रवर्त्तन अधिकारी धरा गया
वर्ष 2017 की शुरुआत में ही 20 जनवरी को एसीबी कोटा की टीम ने रसद विभाग बूंदी के तत्कालीन प्रवर्तन अधिकारी बारां रोड स्थित आरके नगर निवासी इरफान कुरैशी को राशन डीलर से दस हजार रुपए रिश्वत लेते उनके घर से गिरफ्तार किया। जांच में दोषी पाए जाने पर उसके खिलाफ एसीबी ने अदालत में चालान भी पेश कर दिया। अभियोजन स्वीकृति मिलने के बाद अदालत ने प्रसंज्ञान भी ले लिया है।
डिप्टी जेलर पकड़ा
जेल में बंदियों को सुविधाएं देने और उनके साथ मारपीट नहीं करने की एवज में बंदियों के परिजनों से शातिर अपराधियों के माध्यम से अवैध वसूली करते हुए एसीबी ने 3 अप्रेल 2017 की रात को डिप्टी जेलर बत्तीलाल मीणा को जेल के बाहर से पकड़ा था। इनकी कार से एसीबी ने 12500 रुपए बरामद किए। इस मामले में जेल में बंद अनूप पाडिय़ा व दो अन्य दलालों को भी गिरफ्तार किया था। इस मामले में भी अदालत ने प्रसंज्ञान ले लिया है।
पीएफ निरीक्षक व पटवारी भी नपे
शहर के विकास का जिम्मा उठाने वाली नगर विकास न्यास के पटवारी संजीव गोचर को 30 मई 2017 को 30 हजार रुपए लेते हुए, केन्द्रीय भविष्य निधि विभाग के निरीक्षक नलिन भट्ट व सुरेश सैनी को 8 नवम्बर को 25 हजार रुपए लेते हुए और वाणिज्य कर उपायुक्त (अपील्स) के निजी सहायक जितेन्द्र परचवानी को 22 नवम्बर को 11 हजार रुपए लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया।
पर कसा शिकंजा
एसीबी बारां में करीब 15 साल पहले 500 रुपए रिश्वत लेते गिरफ्तार हुए बारां निवासी तत्कालीन कनिष्ठ लिपिक मोहनलाल नागर को 30 मार्च 2017 को 4 साल कठोर कैद व 15 हजार रुपए जुर्माने से दंडित किया था।
एसीबी अधिकारी को एक लाख रुपए रिश्वत की पेशकश करने के 14 साल पुराने चर्चित मामले में 1 अप्रेल 2017 को महिला एवं बाल विकास विभाग की सुल्तानपुर परियोजना के तत्कालीन बाल विकास परियोजना अधिकारी(सीडीपीओ) हरगोविंद निर्भीक को 5 साल कठोर कैद व 2 लाख रुपए जुर्माने से दंडित किया था।
आय से अधिक सम्पति अर्जित करने अदालत ने 6 जून 2017 को राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के तत्कालीन अधीक्षक अभियंता विज्ञान नगर निवासी आनंदी लाल माथुर को 4 साल कठोर कैद की सजा व 15 लाख रुपए जुर्माने से दंडित किया था। 11 लाख 96 हजार 459 रुपए उनकी चल अचल सम्पति को कुर्क कर राजकोष में जमा कराने का आदेश दिया था।
आय से अधिक सम्पत्ती अर्जित करने के 25 साल पुराने मामले में अदालत ने 11 जुलाई को नगर निगम के तत्कालीन सहायक अभियंता मोहनदास मरचूनिया को 5 साल कठोर कैद व 20 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी।
इंजीनियर भी कम नहीं
रिश्वत लेने में इंजीनियर भी कम नहीं हैं। अपने ही विभाग से सेवानिवृत्त हुए माली के एरियर का भुगतान करने की एवज में 60 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए एसीबी की टीम ने 24 मई 2017 को सीएडी के दांयी मुख्य नहर (आरएमसी) खंड प्रथम के कनिष्ठ अभियंता उमेश श्रृंगी, लेखाकार अवधेश शर्मा व लिपिक अरविंद राजावत को गिरफ्तार किया।
जिला परिषद के जल ग्रहण विभाग की कनिष्ठ अभियंता प्रीति सेन, सरपंच रमेश कुमार व सचिव सुरेश कुमार को 12 जुलाई 2017 को 43 हजार रुपए लेते हुए पकड़ा।
इस साल 4 जनवरी को नगर विकास न्यास के जेईएन विमल माहेश्वरी को ऑटो चालक को एनओसी जानी करने की एवज में 5 हजार रुपए लेते हुए पकड़ा था।
Published on:
04 Feb 2018 09:28 am
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