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हवा ही नहीं यहां तो पानी भी हो गया जहरीला, दम तोड़ने लगी जीवनदायनी चंबल

कोटा में भले ही वायु प्रदूषण का स्तर खतरे के निशान तक नहीं पहुंचा हो, लेकिन जीवनदायनी चम्बल का पानी जहरीला हो चुका है।

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Chambal s water becomes poisonous

हरियाणा व पंजाब में कृषि अवशेषों को जलाने से दिल्ली व अन्य स्थानों पर फैला वायु प्रदूषण इन दिनों सुर्खियों में है। इस खतरनाक प्रदूषण का असर राजस्थान की दिल्ली से सटी सीमाएं अलवर व भिवाड़ी तक भी है, जबकि इसके उलट मध्य भारत की ओर बढ़ते हैं तो वायु प्रदूषण का स्तर कम होता जाता है। कोटा में वायु प्रदूषण का स्तर इतना नहीं है, जितना दिल्ली, अलवर व भिवाड़ी क्षेत्र में। भले ही हमारे यहां वायु प्रदूषण की स्थिति खराब नहीं हो, लेकिन जीवनदायिनी चम्बल नदी के प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक है।

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चम्बल केशवराय पाटन में सबसे ज्यादा गंदी

प्रदूषण नियंत्रण मंडल कोटा ने चम्बल में चार जगह से दो साल तक पानी के नमूने लेकर जांच की तो पाया कि केशवरायपाटन के बाद से चम्बल का पानी खतरनाक रूप से प्रदूषित हो रहा है। विभागीय रिपोर्ट के अनुसार बैराज की अप स्ट्रीम, डाउन स्ट्रीम, केशवरायपाटन की अप स्ट्रीम, डाउन स्ट्रीम के पानी के नमूने समय-समय पर जांच कर जल प्रदूषण की रिपोर्ट तैयार की जाती है। बैराज की अप स्ट्रीम के पानी में थर्मल द्वारा निर्धारित मानक से कम प्रदूषण हो रहा है। इसके बाद जल प्रदूषण की मात्रा बढ़ती जा रही है। केशवरायपाटन की डाउन स्ट्रीम तक पहुंचते-पहुंचते जल प्रदूषण की मात्रा निर्धारित मानक को पार कर (बीओडी) जाती है। नालों का दूषित पानी, मल, कीचड़ नदी में मिलने के बाद नदी के पानी में बढऩे वाला कार्बनिक भार बीओडी है।

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मध्यम स्तर का है वायु प्रदूषण

श हर के वायु प्रदूषण की विभाग द्वारा पांच अलग-अलग जगहों पर लगी मशीनों से जांच की जाती है। इसमें से चार जगह की जांच तो मैनुअल की जा रही है, वहीं श्रीनाथपुरम स्टेशन की जांच ऑनलाइन होती है, वहां हर १५ मिनट में वायु प्रदूषण की रिपोर्ट अपडेट होती है। इस रिपोर्ट के अनुसार शहर में मध्यम स्तर का वायु प्रदूषण हो रहा है। इससे नुकसान कम है।

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बढ़ रहा कार्बनिक भार

दूषित जल की जांच करने पर पाया कि नदी में गिरने वाले नालों से पानी में कार्बनिक भार बढ़ रहा है, जबकि केपाटन की अप स्ट्रीम का पानी सी कैटेगरी का है। यानी इस पानी को ट्रीट कर पेयजल के काम में लिया जा सकता है। पीसीबी कोटा के क्षेत्रीय अधिकारी अमित शर्मा बताते हैं कि दिल्ली, अलवर, भिवाड़ी जैसे हालात कोटा में नहीं हैं। यहां प्रदूषण की स्थिति नियंत्रण में है। शहर में लगे प्रदूषण जांच केंद्रों की रिपोर्ट के मुताबिक शहर का प्रदूषण मध्यम स्तर का है।