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जांच का शिकंजा कसते ही घट गई बच्चे गोद लेने वालों की संख्या, 5 साल में रह गए आधे

चाइल्ड एडॉप्शन सिस्टम डिजिटलाइज होते ही बच्चे गोद लेने वालों की संख्या 5 साल में घटकर आधी रह गई। हालांकि अब लड़कियां ज्यादा गोद ली जा रही हैं।

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भारत में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया ऑनलाइन होते ही बच्चे गोद लेने वालों की संख्या घटकर आधी रह गई है। Central Adoption Resource Authority (CARA) ने वर्ष 2014 में पूरी जांच के बाद ही बच्चे गोद लेने की व्यवस्था शुरू की थी। जिसके बाद बच्चे गोद लेने वालों की संख्या कम हुई है। केरा की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के बाद पुराने चाइल्ड एडॉप्शन सिस्टम से गोद दिए गए बच्चों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं।

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45 फीसदी तक की कमी आई

घर में बच्चों की हंसी-खुशी गूंजती रहे और एक मां की गोद भरी रहे। हर परिवार यही चाहता है, लेकिन हर किसी को यह सुख नहीं मिलता। इस सुख को पाने के लिए नि:संतान दम्पती बच्चों को गोद लेते हैं और अपने जीवन के अधूरेपन को पूरा करते हैैं, लेकिन पिछले कुछ सालों से बच्चों को गोद लेने की संख्या में लगातार कमी आई है। वर्ष 2011-12 और 2016-17 के बीच के आंकड़ों को देखें तो देशभर में विभिन्न संस्थाओं से बच्चे गोद लेने के लिए आवेदनों की संख्या में 45 फीसदी तक की कमी आई है।

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इसलिए आई कमी

Central Adoption Resource Authority (CARA) की ओर से जारी आंकड़ों की समीक्षा से हैरत में पड़े जानकारों का मानना है कि बच्चे गोद लेने की व्यवस्था ऑनलाइन होने के बाद जांच प्रक्रिया सख्त हो गई। जब तक सारी जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक बच्चा गोद नहीं दिया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और इस मामले के विशेषज्ञ विशाल शर्मा कहते हैं कि आंकड़ों को देखकर लगता है कि इससे फर्जी एडॉप्शन खत्म हो गए। हालांकि यह भी सवाल उठता है कि क्या इससे पहले बच्चे गोद लेने की प्रक्रिया असुरक्षित थी?

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बेटियों को लेने वाले बढ़े

पिछले कुछ सालों में बेटा-बेटी में भेदभाव कम हुआ है। बेटियों को गोद लेने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है। अजमेर से आए विनय ने बताया कि उन्होंने व उनके एक रिश्तेदार ने बेटी को गोद लिया। बेटियां, बेटों से कम नहीं होती। वर्ष 2011 से 2014 के बीच श्री करनी नगर विकास समिति से 29 बेटियां गोद गई। गौरतलब है कि कोटा में करनी नगर विकास समिति शिशुग्रह विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी के माध्यम से बच्चे गोद दिए जाते हैं।

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ऐसे करना होता है आवेदन

पिछले सालों में बच्चों को गोद लेने की आवेदन प्रक्रिया को ऑनलाइन किया गया है। इसके लिए सेन्ट्रल एडप्शन रिसोर्स ऑथरिटी की साइट पर ऑनलाइन आवेदन करना होता है। इसमें आवेदक को नाम-पता, आयु प्रमाण पत्र, आय व सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार जानकारियां देनी होती है। साइट पर आवेदन के बाद क्षेत्र की दत्तक एजेंसी के पास सूचना आती है और आवेदक से सम्बन्धित सभी जानकारियों की सत्यता की जांच की जाती है। सही होने पर निर्धारित मापदंडों के अनुसार आवेदक को बच्चा गोद दिया जाता है।

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जागरूकता बढ़ानी होगी

श्री करनी नगर विकास समिति के अध्यक्ष सी.एम. सक्सेना कहते हैं कि ऑनलाइन आवेदन से पारदर्शिता रहती है। इससे एक सिस्टम के तहत क्रम से आवेदकों को बच्चे गोद दिए जाते हैं। लोगों को आवेदन प्रक्रिया का पता चल जाएगा तो दिक्कत नहीं आएगी। हां ग्रामीण अंचल व कम शिक्षित लोगों के लिए यह थोड़ा मुश्किल है। इसके लिए जागरूकता की जरूरत है।

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घट गए बच्चे गोद लेने वाले

वर्ष - देश - विदेश
2011-12 - 5964 - 629
2012-13 - 5694 - 308
2013-14 - 3924 - 403
2014-15 - 3988 - 374
2015-16 - 3011 - 666
2016-17 - 3210 - 578
(इन वर्षों में पूरे देश में गोद दिए गए बच्चे की संख्या)