
Chinese fruit fly attack on guava gardens in Rajasthan
अमरूदों की मिठास इस बार चीन के निशाने पर है। चीन से आई बेक्टेरो सेरा डोरसोलिसस मक्खियां अमरूद के बागों में मंडराने लगी हैं। फूल जैसे ही फल में तब्दील होने लगेंगे ये मक्खियां उस पर अपना डेरा जमा लेंगी और प्रजनन कर फल को सड़ाने वाली मक्खियों को जन्म देने लगेंगी। किसानों को पता भी नहीं चलेगा कि कब उनकी पैदावार बर्बाद हो गई। जब वे बाजार में अमरूद बेचने जाएंगे और ग्राहक फल को काटेंगे तब जाकर पता चलेगा कि उसमें तो कीड़े पड़े हुए हैं।
राजस्थान ही नहीं पूरे देश में बूंदी को यहां पैदा होने वाले खास मिठास भरे अमरूदों के लिए भी जाना जाता है। इलाहबाद के बाद यही ऐसी जगह है जहां लाल अमरूद की बंपर पैदावार होती है, लेकिन इस बार लोग अमरूदों की इस मिठास से महरूम रहने वाले हैं। अच्छी फसल की उम्मीद में खुश हो रहे किसान चीन की साजिश से बेखबर हैं। उन्हें पता भी नहीं है कि चाइना से आने वाली बेक्टेरो सेरा डोरसोलिसस मक्खी ने उनके बगीचों पर हमला बोल दिया है। आम बोलचाल में "फल मक्खी" के नाम से जाने जाने वाली इस मक्खी ने बूंदी जिले के 500 हैक्टेयर से भी ज्यादा इलाके में फैले अमरूदो के बगीचों में अंडे देना शुरू कर दिया है। इस मक्खी के प्रकोप की भयावहता आप इसी बात से समझ सकते हैं कि बाहर से हरा और ताजा दिखाई देने वाले अमरूद को इन मक्खियों का डंक अंदर ही अंदर खराब कर देता है।
अमरूद के छोटे फलों पर ही देती हैं अंडे
कृषि विज्ञान केन्द्र बूंदी के कीट विशेषज्ञ डॉ.एन.एल मीना ने बताया कि यह 'फल मक्खी' सितम्बर अंत से अक्टूबर मध्य तक अमरूद की टहनियों पर अंडे देने लगती है। अक्टूबर के लास्ट तक तो इनकी तादाद लाखों में फैल जाती है और बगीचों में उड़ती हुई दिखाई पडऩे लगी है। इतना ही नहीं अमरूद के फूल से जैसे ही फल विकसित होने लगता है यह मक्खी उस पर डेरा जमा लेती है और उसके अंडे से निकलने वाले कीट फलों में प्रवेश कर जाते हैं। जो फल को अंदर ही अंदर सड़ा देते हैं। इस मक्खी से होने वाले नुकसान का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि किसानों को इसकी खबर दिसम्बर माह में फल तुड़वाई के समय ही लग पाती है। तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
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करोड़ों के नुकसान की आशंका
अकेले बूंदी जिले में 500 हैक्टेयर से ज्यादा में अमरूदों के बगीचे हैं, जिनमें प्रति बीघा 40 हजार की पैदावार होती है। किसानों को फायदे का सौदा लगने और कृषि विभाग की ओर से मिल रहे अनुदान से जिले में अमरूदों के बगीचों की तादाद लगातार बढ़ रही है। सिर्फ अमरूद का ही जिले में सालाना 9 करोड़ 37 लाख 50 हजार का कारोबार होता है। अमरूद की फसल से अकेले बूंदी जिले के करीब 700 किसान जुड़े हुए है, लेकिन इस बार फल मक्खी के हमले से वैज्ञानिक फसल तबाह होने की आशंका जता रहे हैँ।
भारतीय कृषि वैज्ञानिकों ने निकाला तोड़
अमरीका के फ्लोरिडा में चीन की इस "फल मक्खी" ने वर्ष 2015 में हमला बोला था। जिससे वहां की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई थी, लेकिन अमेरिकी वैज्ञानिकों ने वर्ष 2016 में ही इस "फल मक्खी" का पूरे देश से सफाया कर दिया था। चीन की इस "फल मक्खी" के भारत के अमरूद बगीचों पर हमला करने के बाद कृषि वैज्ञानिकों ने भी इसका तोड़ निकाल लिया है। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एल.एल.मीना वरिष्ठ "फल मक्खी" बताते हैं कि किसानों को सबसे पहले इसकी पहचान करना सीखना होगा। उन्हें जैसे ही लगे कि "फल मक्खी" ने उनके बगीचे पर हमला कर दिया है तो मिथाईल-यूनिजोल बोटल ट्रेप, 10 ट्रेप प्रति हैक्टेयर लगाकर इसके व्यस्क को नष्ट कर सकते हैं। साथ ही स्थानीय विष चुग्गा एक लीटर पानी 10 एम सी मैलाथियान 50 सीसी, 20 ग्राम गुड़ या शक्कर का घौल बनाकर चार से पांच जगह प्रति बीघा या 20 से 25 जगह प्रति हैक्टेयर की दर से विष चुग्गा रखने पर इसके सम्पूर्ण व्यस्क नष्ट हो जाते है।

Published on:
08 Oct 2017 02:02 pm
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