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अमरीका में हर काम को अलग पुलिस और भारत में हर काम करता है एक ही पुलिस वाला

हैरत में पड़ जाएंगे कि अमरीका में हर काम के लिए अलग-अलग पुलिस होती है, लेकिन भारत में हर काम एक ही पुलिस वाला कर डालता है।

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Comparison of US and Indian Police Systems

अमरीका काफी विकसित देश है। वहां हर काम के लिए अलग से विशेष पुलिस बनी हुई है। अपराधों व साइबर क्राइम की रोकथाम के लिए आधुनिक तकनीक इस्तेमाल की जा रही, जिससे अपराधी तुरंत ट्रेस हो जाए। जिस तरह की तकनीक का इस्तेमाल अमरीका में हो रहा, इसकी भारत में भी बहुत जरूरत है। यह कहना है शहर पुलिस अधीक्षक अंशुमान भौमिया का। अमरीकी सरकार के आमंत्रण पर भारत से वहां गए 4 आईपीएस में से राजस्थान से एक मात्र एसपी अंशुमान भौमिया तीन सप्ताह के इंटरनेशनल विजिटर्स लीडरशिप प्रोगाम (आईवीएलपी) में शामिल होकर शुक्रवार को ही कोटा पहुंचे हैं।

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21 दिन तक लिया प्रशिक्षण

भारत से गए अन्य आईपीएस में दिल्ली, सिक्किम व विशाखापट्टनम से एक-एक अधिकारी शामिल थे। भौमिया ने बताया कि 21 दिन के कार्यक्रम के दौरान उन्हें वाशिंगटन, न्यूयार्क व अवार्डा समेत 6 बड़े शहरों का भ्रमण कराया गया। उन्होंने बताया कि वहां बहुत कुछ सीखा है। यहां बेहतर उपयोग कर शहर को लाभ देने की कोशिश रहेगी। 'कमांड एंड कंट्रोल सेंटर' पूरी तरह से तैयार होने के बाद ट्रेफिक सिस्टम को काफी हद तक सुधारा जा सकेगा। साइबर क्राइम की रोकथाम में भी तकनीक का उपयोग कर कमी लाने के प्रयास होंगे। उन्होंने बताया कि अमरीका में हॉर्न बजाने का मतलब दूसरे वाहन चालक ने बहुत बड़ी गलती की है। वहां वाहन अधिक होने के बावजूद हॉर्न सुनाई ही नहीं देते। जबकि भारत में लोग बिना कारण हॉर्न बजाते रहते हैं।

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गन वॉइलेंस रोकने को लगे हुए हैं सेंसर

एसपी ने बताया कि अमरीका में गन वॉइलेंस अधिक होता है। वहां हथियार खुलेआम दुकानों पर आसानी से मिल जाते हैं। ऐसे में सरकार ने प्रमुख जगहों पर सेंसर लगा रखे हैं। इससे फायरिंग होने पर सेंसर उसे कैप्चर कर कंट्रोल रूम को सूचित कर देता है। गूगल मेप के जरिये जगह व हथियार तक ट्रेस हो जाते हैं। पुलिस तुरंत मौके पर पहुंच जाती है। भारत और विशेषकर कोटा में भी इस तकनीक की जरूरत है।

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साइबर क्राइम रोकथाम के लिए 80 सेंटर

एसपी ने बताया कि अमरीका में साइबर क्राइम रोकथाम के लिए 80 इंटेलीजेंस सेंटर बनाए गए हैं। वहां विशेषज्ञ पुलिस टीमें काम करती हैं। अपने यहां भी उस तकनीक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। वहां पुलिस अधिकारियों ने उन्हें इसका प्रशिक्षण भी दिया। उनके संटरों का निरीक्षण भी कराया।

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ट्रेफिक रूल्स का गजब का सम्मान

उन्होंने बताया कि अमरीका में वाहन चालक को चौराहे पर रोकने-टोकने के लिए कोई ट्रेफिक पुलिसकर्मी नजर नहीं आएगा। बावजूद इसके कोई नियम नहीं तोड़ता। यहां तक कि चौराहे पर यदि कोई वाहन क्रॉस कर रहा हो तो अन्य वाहन स्वत: ही ठहर जाते हैं। जबकि भारत में कोटा समेत कई बड़े शहरों में भी लोग ट्रेफिक नियमों को तोड़ने में लोग शान समझते हैं। भारतीयों को वहां से ट्रेफिक रूल्स सीखने की जरूरत है।