
Shahrukh Khan photo received from X
Kota News: पान मसाला निर्माता कंपनी के 'दाने-दाने में केसर का दम' वाले विज्ञापन पर सवाल उठाते हुए कोटा जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने बॉलीवुड स्टार शाहरुख खान, अजय देवगन, टाइगर श्रॉफ और पान मसाला निर्माता कंपनी को नोटिस जारी कर 21 अप्रैल तक जवाब मांगा है।
यह नोटिस सामाजिक कार्यकर्ता इंद्र मोहन हनी की शिकायत पर जारी किया गया है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि विज्ञापन में केसर का दम बताकर युवाओं को गुमराह किया जा रहा है।
कोटा के भाजपा नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक नंदवाना और सामाजिक कार्यकर्ता इंद्र मोहन हनी ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, धारा 89 के तहत इस मामले में याचिका दायर की थी। उनका तर्क है कि केसर बेहद महंगा पदार्थ है और जिस दर पर पान मसाला बेचा जा रहा है, उस कीमत पर उसमें वास्तविक केसर मिलाया जाना संभव नहीं है।
उन्होंने तर्क दिया है कि वैज्ञानिक जांच में भी इस दावे की पुष्टि नहीं हुई है कि पान मसाला में असली केसर मौजूद है। इस तरह के भ्रामक विज्ञापन युवाओं को पान मसाला खाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, जिससे उनकी सेहत को नुकसान पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि पैकेट पर चेतावनी इतने छोटे अक्षरों में लिखी होती है कि उसे पढ़ पाना मुश्किल है, जिससे उपभोक्ताओं को सही जानकारी नहीं मिल पाती।
इस याचिका में सिर्फ कंपनी ही नहीं, बल्कि उसके ब्रांड एंबेसडर रहे तीन बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान, अजय देवगन और टाइगर श्रॉफ को भी पार्टी बनाया गया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि लोकप्रिय अभिनेताओं द्वारा किए गए विज्ञापनों का युवाओं पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जब ये सितारे किसी उत्पाद की गुणवत्ता की गारंटी देते हैं, तो लोग बिना सोचे-समझे उसे खरीद लेते हैं। ऐसे में, किसी भ्रामक दावे वाले विज्ञापन में भाग लेने की उनकी भी जिम्मेदारी बनती है।
इस शिकायत पर कोटा उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष अनुराग गौतम ने शाहरुख, अजय, टाइगर और पान मसाला निर्माता कंपनी को नोटिस जारी किया है। अब सभी पक्षों को 21 अप्रैल तक अपना जवाब प्रस्तुत करना होगा। वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक नंदवाना ने कहा कि हमने इस मामले को इसलिए उठाया है ताकि भ्रामक विज्ञापन करने वाली कंपनियों और उनके प्रचार करने वाले सितारों को जवाबदेह बनाया जा सके। यह उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
गौरतलब है कि धारा 89 के तहत यदि कोई व्यक्ति या संस्था किसी उपभोक्ता को भ्रामक विज्ञापन के माध्यम से गुमराह करती है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर पहली बार उल्लंघन पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना और दो साल तक की सजा हो सकती है।
Published on:
22 Feb 2025 06:07 pm
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