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JEn रिश्वत मामला: यह पहली बार नही, इसके पहले भी जेइएन खा चुका गरीबों की मेहनत की कमाई

पहले भी घूसखोरी करता रहा है आरोपित जेईएन|

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कोटा .

एनओसी जारी करने की एवज में 5 हजार रुपए रिश्वत लेते पकड़े गए नगर विकास न्यास के जेईएन विमल कुमार माहेश्वरी ने वर्ष 2016 में भी फरियादी के इसी मित्र से एक मकान की सेल परमिशन जारी करने की एवज में 15 हजार रुपए लिए थे। इधर, अदालत ने शुक्रवार को जेईएन को 20 जनवरी तक जेल भेज दिया।

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ट्रेडिंग व्यवसाय करने वाले विवेकानंद नगर निवासी विक्रमसिंह हाड़ा ने बताया कि यह पहला मौका नहीं है, जब जेईएन विमल माहेश्वरी ने रिश्वत के रूप में राशि ली है। इस बार ऑटो चालक उनका मित्र राजेन्द्र राठौर था। वह रोजाना मेहनत कर अपने परिवार का गुजारा चलाता है। उससे भी लोन के लिए एनओसी जारी करने की एवज में माहेश्वरी 5 हजार रुपए लिए।

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इतना ही नहीं इससे पहले वर्ष 2016 में भी उनके एक परिचित जगदीश फौजी ने विवेकानंद नगर में 221 नम्बर का दो मंजिला मकान खरीदा था। उसने भी न्यास में सेल परमिशन के लिए आवेदन किया था। उस समय भी विमल माहेश्वरी ने उनसे 15 हजार रुपए रिश्वत मांगी थी। रिश्वत की राशि उस समय उन्होंने ही विमल माहेश्वरी को दी थी। तब जाकर उसने सेल परमिशन दी थी।

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20 तक भेजा जेल
इधर, रिश्वत लेते गिरफ्तार हुए जेईएन विमल माहेश्वरी को एसीबी टीम ने शुक्रवार को अदालत में पेश किया। जहां से उसे 20 जनवरी तक जेल भेज दिया। एसीबी के निरीक्षक अजीत बागडोलिया ने बताया कि इस मामले में अभी जांच की जा रही है।

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ऑनलाइन व्यवस्था, फिर भी अटका रहे काम
हाड़ा ने आरोप लगाया कि ऑनलाइन व्यवस्था होने के बाद भी न्यास में बिना रिश्वत दिए कोई काम नहीं करता। कभी लिपिक तो कभी जेईएन काम को अटका कर रखते हैं। व्यक्ति चक्कर लगाते हुए जब परेशान हो जाता है तो उससे रुपए की मांग की जाती है। अधिकतर लोग रकम देकर काम निकाल लेते हैं।