
युवक का किया गलत ऑपरेशन
चिकित्सक को भगवान का दर्जा दिया जाता है। जिनके पास मरीज स्वस्थ होने को जाते हैं, लेकिन नाकारा चिकित्सा व्यवस्था का खामियाजा कभी-कभी मरीज की जिंदगी पर भारी पड़ जाता है। ऐसा ही हुआ मध्यप्रदेश के बेदर व हाल मुकाम विनोवा भावे नगर निवासी रमेश तंवर (25) पुत्र जगन्नाथ के साथ। रमेश ने चार माह पहले नए अस्पताल में डॉ. नवनीत पाराशर के पास अपेन्डिक्स का ऑपरेशन कराने आया था। अपेन्डिक्स का उपचार तो कर दिया, लेकिन मल आंत को कुछ दिनों के लिए बाहर निकाल दिया। इससे रमेश की आंतों में इंफेक्शन के कारण मवाद भर गया। हालत खराब होने पर उसे एक माह बाद पुन: अस्पताल में दिखाया। इस पर उसे यहां अस्पताल में चार-पांच दिन भर्ती रखा। उसके बाद यहां से तबीयत ठीक होने का कहकर छुट्टी दे दी। अभी रमेश जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा है।
अब सहारे की जरूरत...
रमेश के बड़े भाई बीरम ने बताया कि उसको काफी दिनों से पेट दर्द की शिकायत थी। नए अस्पताल में 31 जुलाई को डॉ. नवनीत पाराशर को दिखाया। उन्होंने जांच में पाया कि अपेन्डिक्स की शिकायत है। ऑपरेशन करने की सलाह दी। ऑपरेशन के बाद रमेश की हालत बिगड़ती गई। अब तो वह दो मिनट भी अपनों पैरो पर खड़ा नहीं रह सकता।
विधायक के पत्र की अनदेखी
मरीज की हालत देखकर विधायक संदीप शर्मा ने नि:शुल्क उपचार के लिए अधीक्षक को पत्र लिखा था, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने मानवीयता को ताक पर रखते हुए परिजनों से जांच के पैसे जमा करवा लिए। इलाज में अब तक करीब 60 हजार रुपए खर्च हो चुके हैं। पूरा परिवार मजदूरी से गुजारा चलाता है। सहायक प्रोफेसर एवं यूनिट हैड डॉ. नवनीत पाराशर ने कहा कि एेसे तो अस्पताल में काफी मरीज आते हैं। आप बता रहे हैं, तो कल ही मरीज को संपूर्ण दस्तावेज लेकर अस्पताल भिजवा दीजिए। दोबारा जांच कर लेंगे।
Published on:
11 Nov 2017 12:47 pm
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