9 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

दीपावली की खुशियां बदली गम में, एक मां ने अपना बेटा, पत्नी ने पति, दो मासूम बेटियों ने पिता व बहन ने भाई खोया

कोटा. दीपावली की सुबह ललिता का इकलौता कुल दीपक देवेन्द्र (38) बुझ गया। घर में मां, पत्नी, दो बेटियां व एक बहन थी जिसकी नवंबर में शादी होने वाली थी।

2 min read
Google source verification

कोटा

image

abhishek jain

Oct 22, 2017

Death on Diwali Festival in Kota

कोटा .

इस बार घर में चमक नहीं आ रही है, ऐसा करता हूं, एक बार और पुताई कर देता हूं मां। मां फिर चमक नहीं आई ...यह कहकर जितेश उर्फ देवेन्द्र (38) ने तीन बार पुताई कर घर को चमकाने की कोशिश की। धनतेरस पर भी अपनी पत्नी के लिए वह कुछ खरीद कर लाया। रूप चौदस को दीपावली की सारी तैयारियां कर देर रात सोया। जल्दी सुबह उठ फिर तैयारी करने लगा। बेटियां मिश्री (3) और सौम्या (7) तो जैसे दीपावली का ही इंतजार कर रही थी। लेकिन शायद नियति को कुछ और ही मंजूर था। पलक झपकते ही दीपावली की सुबह ललिता का इकलौता कुल दीपक बुझ गया।

Read More: जुआ खेलते पकड़ा गया बीजेपी का ये बड़ा नेता, पुलिस ने बरामद किए 4.24 लाख रुपए

सुबह तक सब ठीक था
टीचर्स कॉलोनी चौथ माता मंदिर के पास रहने वाला देवेन्द्र दुकान से लौटा, खाना खाया और सो गया। सुबह जल्दी उठ घर की साफ सफाई की, पड़ोस में दीपावली की राम-राम की। फिर अचानक जी घबराया, उल्टी हुई और अचेत हो गया। मां और पत्नी घबरा गई। पड़ोसी अस्पताल ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने साइलेंट अटैक बताते हुए मृत घोषित कर दिया। घर लाए तो पूरा मोहल्ला सन्न रह गया मोहल्ला सन्न रह गया। दीपोत्सव की खशियां गम में बदल गई। न किसी ने मिठाइयां बांटी, न आतिशबाजी हुई।

Read More: 6 घंटे तक तालाब में डूबे रहे बच्चे, जब तक लोग बचाने पहुंचे हो चुकी थी मौत

कैसे चलेगा परिवार

देवेन्द्र (35) के कंधे पर ही पूरे परिवार की उम्मीदें जिंदा थी। जेके बंद होने पर पिता हजारी लाल शर्मा की नौकरी छूटी, जैसे तैसे गुजर बसर हुई। देवेन्द्र और भाई बहिनों की पढ़ाई छूट गई। होश संभालने से पहले वह परिवार का सहारा बन गया। पिता चौकीदारी करते। पिछले साल बीमारी के चलते पिता का साया भी उठ गया। तब से वही एकमात्र परिवार की गाड़ी खींचने वाला था। परिवार में अब कोई कमाने वाला नहीं है।

Read More: Video: बंदर की मौत पर रो पड़ी पूरी लंका, बैंडबाजे के साथ निकाली शव यात्रा

बूढ़ी मां, पत्नी और दो मासूम
परिवार में बूढ़ी मां ललिता और पत्नी कुसुम, दो बेटियां और बहन दीपा है। पांचों का रो रो कर बुरा हाल है। बहन दीपा ने तीन दिन से खाना नहीं खाया, वह कह रही है 'म्हांरो भैयो ही रोटी की न खा र्यो म्हूं कश्यां खा लूंं।Ó मां के आंसू नहीं थम रहे। पत्नी की आंखें पथरा गई।

Read More: Diwali Accidents: सूतली बम फटने से उड़ा हाथ, 60 की आंखें हुईं जख्मी, 38 लोग झुलसे

दीपा के हाथों रचने वाली थी मेहंदी
एक बहन मनीषा के हाथ पीले हो चुके हैं, दीपा की माह नवंबर में शादी होने वाली थी। इसी की तैयारियों में वह लगा हुआ था कि परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।

Read More: राजस्थान की राजनीति में फिर भूचाल लाएगी ये फैक्ट्री, सरकार ने बेची कौड़ियों के भाव

मासूम बेटी ने दी मुखाग्नि
पिता की अर्थी और चारों ओर विलाप देख बेटी सौम्या शायद समझ गई कि शाम को रोज बिस्कुट लाना न भूलने वाले पापा हमेशा के लिए जा रहे। परिवार में कोई पुरुष या बेटा न होने के चलते बेटी सौम्या ने मुखाग्नि दी तो मौजूद लोगोंं की आंखों से आंसू बह निकले। उधर, मां ललिता अपने कलेजे के टुकड़े की अस्थियां विसर्जन के लिए फफकती हुई हरिद्वार गई।