
Doctors strike in Rajasthan
सेवारत चिकित्सक संघ की ओर से 33 सूत्रीय मांगों को लेकर राजस्थान के 10 हजार से ज्यादा चिकित्सक हड़ताल पर चले गए हैं। कोटा जिले के 240 सेवारत चिकित्सकों ने अपना त्याग पत्र संघ को सौंप दिए। जबकि पूरे प्रदेश से 10 हजार से भी ज्यादा चिकित्सक आज सरकार को अपना इस्तीफा सौंपेगे। डॉक्टरों की हड़ताल से निपटने के लिए सरकार ने मेडिकल कॉलेजों के रेजीडेंट और रेलवे के डॉक्टरों के साथ-साथ आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा से जुड़े चिकित्सकों की ड्यूटी सरकारी अस्पतालों में लगाई।
सेवारत चिकित्सक संघ कोटा के जिलाध्यक्ष डॉ. अमित गोयल ने बताया कि सामूहिक त्याग पत्र प्रदेश महासचिव डॉ. दुर्गाशंकर सैनी को सौंप दिए। शुक्रवार को कोटा सीएमएचओ को 6 नवम्बर से सामूहिक त्याग पत्र एवं कार्यस्थल पर अनुपस्थित रहने की सूचना प्रेषित की गई है। डॉ. सैनी ने बताया कि राज्य से 10 हजार सेवारत चिकित्सकों के सामूहिक त्याग पत्र प्राप्त हो चुके हैं, जिन्हें राज्य सरकार को सौंपा जाएगा। सेवारत चिकित्सक जेल जाने से लेकर किसी भी कार्रवाई के लिए पूर्णरूप से तैयार हैं। 6 वर्षों से अपना पक्ष रखते आ रहे हैं। 3 माह से असहयोग आंदोलन कर रहे हैं, उन्होंने बताया कि ऑल राजस्थान रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के संयोजक डॉ. राजवीर सिंह ने आंदोलन को पूर्ण समर्थन देने बात कही है।
कोटा में ये है स्थिति
कोटा में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र 39, सामूदायिक स्वास्थ्य केन्द्र 13, डिस्पेन्सरी 12, जिला अस्पताल रामपुरा, मोबाइल सर्जिकल यूनिट, ईएसआई अस्पताल, महाराव भीमसिंह चिकित्सालय, जेके लोन, न्यू मेडिकल कॉलेज अस्पताल आदि में कुल 247 सेवारत चिकित्सक कार्यरत हैं। संभाग में 640 सेवारत चिकित्सक हैं। उनके अवकाश पर जाने से व्यवस्था बिगड़ सकती है। कोटा जिले से अभी तक 240 चिकित्सक अपने इस्तीफे सौंप चुके हैं। दो दिन बाद इनके सामूहिक हड़ताल पर जाने की वजह से पहले से ही भयावह हालत से गुजर रहे कोटा की चिकित्सीय व्यवस्थाएं पूरी तरह ठप होने की आशंका है।
सुबह से ही उमड़ी मरीजों की भी़ड़
कोटा में डेंगू, स्क्रब टायफस और स्वाइन फ्लू की वजह से पहले से ही हालात खराब हैं। यहां अब तक 91 लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में सोमवार सुबह से ही हॉस्पिटल में मरीजों की भीड़ उमड़ने लगी है। जिससे निपटने के लिए मेडिकल कॉलेज के रेजीडेंट डॉक्टर्स, रेलवे और आयुर्वेद चिकित्सा सेवा के चिकित्सकों को तैनात किया गया है। वह ओपीडी में आए मरीजों को देखने में जुटे हैं, लेकिन अस्पतालों के बाहर भीड़ बढ़ने के साथ ही इन चिकित्सकों से सामने मुश्किल खड़ी होना भी शुरू हो गया है।
Published on:
06 Nov 2017 10:35 am
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