
Rajasthan government released new guideline for dengue diagnosis
राजस्थान में अब डॉक्टर नहीं सरकार तय करेगी कि कोई व्यक्ति डेंगू की बीमारी से पीड़ित है या नहीं। राजस्थान सरकार इस बारे में बकायदा नई नई गाइड लाइन जारी की है। जिसमें निर्देश दिए हैं कि सिर्फ एलाइजा टेस्ट में बीमारी साबित होने पर ही किसी मरीज को डेंगू डिक्लेयर किया जाए। वहीं रैपिडटेस्ट (कार्ड टेस्ट) में डेंगू के सिमटम्स जाहिर होने के बाद भी सरकार उस व्यक्ति को डेंगू का मरीज नहीं मानेगी। हालांकि हालात यह हैं कि 30 लाख से ज्यादा आबादी वाले कोटा संभाग में सरकार के पास एलाइजा टेस्ट करने के लिए सिर्फ एक ही मशीन है। वहीं सरकार की इस नई गाइडलाइन के विरोध में डॉक्टरों ने भी मोर्चा खोल दिया है।
सरकार ने फिर खेला आंकड़ेबाजी का खेल
कोटा में बेकाबू हो रही मौसमी बीमारियों के बीच शहर में मौत तांडव कर रही है लेकिन आंकड़ों में उलझी सरकार जख्मों पर नमक छिड़क रही है। डेंगू, स्वाइन फ्लू और स्क्रब टाइफस से करीब 90 लोगों की जान चुकी है। भयावह होते हालात को लेकर जन प्रतिनिधि और संबंधित अफसर लगातार चेताते रहे लेकिन व्यवस्था संभालने-सुधारने की बजाय चिकित्सा मंत्री बार-बार सरकारी आंकड़ों का हवाला देकर बेफिक्री जताते रहे हैं। राजस्थान सरकार ने हालात सुधारने की कोशिश करने के बजाय एक बार फिर आंकड़े बाजी शुरू कर दी है। सरकार की ओर से फरमान जारी किया गया है कि सिर्फ एलाइजा टेस्ट की रिपोर्ट में डेंगू साबित होने पर ही किसी मरीज को इस बीमारी से पीड़ित माना जाएगा।
डॉक्टरों को दी कार्रवाई की धमकी
इतना ही नहीं सरकार की ओर से जारी नई गाइड लाइन में प्रदेश के चिकित्सकों को सीधी चेतावनी दी गई है कि यदि उन्होंने रैपिडटेस्ट (कार्ड टेस्ट) के अाधार पर किसी मरीज को डेंगू घोषित किया तो उनके खिलाफ सरकार कार्रवाई करेगी। जिसके बाद प्रदेश के चिकित्सकों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। राजस्थान सरकार की नई गाइड लाइन के विरोध में उतरे डॉक्टरों का कहना है कि फिजिशियन विभिन्न पैरामीटर्स और जांचों के आधार पर किसी बीमारी को डायग्नोस करता है। इसलिए सरकार उन्हें किसी एक टेस्ट के आधार पर बीमारी तय करने के लिए पाबंद नहीं कर सकती।
सरकार का फैसला असंवैधानिक
आईएमए कोटा के जिलाध्यक्ष डॉ. जसवंत सिंह ने डेंगू को लेकर जारी की गई राजस्थान सरकार की नई गाइडलाइन को असंवैधानिक करार दिया है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों के हाथ बांधने से मरीजों का कोई भला नहीं होने वाला। डॉक्टर अनुभव के आधार पर काम करते हैं ना कि आंकड़े बाजी में फंसते हैं। जबकि सरकार बीमारी की भयावहता के आंकड़े छिपाने के लिए नई पॉलिसी ला रही है। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों को काम करने की छूट दी जानी चाहिए। हां, यह जरूर है कि सरकार बीमारी के इन आंकड़ों को माने या नहीं माने, यह उनके ऊपर निर्भर करता है। डॉक्टरों ने यह भी सवाल उठाया कि सिर्फ कार्ड टेस्ट के आधार पर डेंगू का इलाज भी नहीं कर सकते। वहीं सीनियर फिजिशियन डॉ. एसके गोयल ने कहा कि सरकार की पहले भी सरकार एलाइजा को ही अपने रिकॉर्ड में शामिल करती थी। लेकिन, यह कहना कि किसी अन्य टेस्ट के आधार पर डेंगू घोषित कर दिया गया तो कार्रवाई की जाएगी, यह समझ से परे है।
पहले मशीन खरीदे फिर दखल दे सरकार
आईएमएके प्रदेश महासचिव डॉ. गोपाल भाटी ने कहा कि यह चिकित्सक का अधिकार है, इसमें कोई भी दखल नहीं दे सकता। सरकार को चाहिए कि वह पहले एलाइजा टेस्ट के लिए उतनी मशीनें खरीदे, फिर यह कहे कि मरीज का एलाइजा टेस्ट कराया जाए। प्रोविजनल डायग्नोस के आधार पर डॉक्टर को बीमारी लिखने से कोई नहीं रोक सकता। डॉ. भाटी ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि कोटा संभाग में एलाइजा टेस्ट के लिए सिर्फ एमबीएस हॉस्पिटल की सेंट्रल लैब में एक ही मशीन है। इस मशीन पर भी दिन भर में सिर्फ 90 टेस्ट किए जा सकते हैं। ऐसे में जब रोजाना डेंगू के 300 से 350 मरीज हॉस्पिटल में भर्ती हो रहे हैं तो उनका इलाज कैसे होगा। यह भी सरकार को सोचना चाहिए।
Published on:
05 Nov 2017 03:18 pm
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