
कोटा .
संभाग के सबसे बड़े महाराव भीम सिंह चिकित्सालय में सबसे प्रमुख वार्ड इमरजेंसी सर्जिकल को इन दिनों सर्जरी की आवश्यकता है। एक माह में करीब 500 गंभीर रोगियों का इलाज करने वाले इमरजेंसी के पलंग कंडम होने की स्थिति में है। इन पलंगों को ईट, पत्थर व जुगाड के सहारे टिका रखा है। मरीजों की सेहत के प्रति कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही। किसी भी दुर्घटना में सबसे पहले मरीज को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किया जाता है। कई बार मरीज के उठने-बैठने से पलंग की ईट खिसक जाती है या टूट जाती है और मरीज एकाएक झटका खाकर चीख उठता है। ऐसी स्थिति में मरीज के दर्द को दरकिनार कर इलाज किया जा रहा है।
20 में से 9 पलंग के पहिए टूटें
इमरजेंसी के 20 में से 9 पलंग के पहिए टूट चुके हैं। गंभीर मरीजों के प्रति अस्पताल प्रशासन की लापरवाही बरत रहा है और मरीजों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। ये हाल पिछले 5 माह से चला आ रहा है। प्रतिदिन यहां 15 से 20 गंभीर रोगी आते हैं। इमरजेंसी वार्ड-ए में 5 पलंग के नीचे ईट व पत्थर लगा रखे हैं वहीं वार्ड-बी में 4 पलंगों पर लेटे मरीज के पलंगों को जुगाड से टिका रखा है। इसके साथ ही इमरजेंसी की दीवारों सीलन आ रही है। फॉल सीलिंग उखड़ चुकी है। इमरजेंसी वार्ड के हालात बत्तर हो चुके हैं। ना ही जनप्रतिनिधि ध्यान दे रहे हैं और ना ही अस्पताल प्रशासन व्यवस्था सुधारने का प्रयास कर रहा है।
प्रभारी इमरजेंसी सर्जिकल वार्ड एमबीएस आरएन गुप्ता ने पत्रिका को बताया कि दो माह से लिखकर दे रखा है। लेकिन कोई सुनवाई ही नहीं करता। एक बार फिर लिखित में दे देंगे।
अधीक्षक एमबीएस चिकित्सालय डॉ. पीके तिवारी ने बताया कि इमरजेंसी सर्जिकल वार्ड की स्थिति को देखने के बाद जो भी कमियां होंगी उसे दूर कर दिया जाएगा।
Updated on:
14 Dec 2017 05:20 pm
Published on:
13 Dec 2017 09:15 pm
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