
सांगोद में अपने घर पर क्रिकेट का अभ्यास करती आयुषी। (फाइल फोटो )
सांगोद. छोटी उम्र और बड़े सपने, हौंसलों की उड़ान भरी तो नई राह खुलने लगी। मम्मी ने हाथ थामते हुए मंजिल की तरफ उसे बढ़ाया तो पापा ने अपनी बेटी के सपने को साकार करने में उसके विश्वास को हर कदम मजबूती दी। आज कस्बे की यह बेटी आयुषी गर्ग महिलाओं के लिए एक मिसाल बनी है। आयुषी ने अपनी छोटी सी उम्र में क्रिकेट में वो मुकाम हासिल किया है जो बड़ी उम्र के नहीं कर सकते। राजस्थान की विभिन्न आयु वर्ग की टीमों में खेल चुकी १८ वर्षीय आयुषी का राधा निवास क्रिकेट क्लब की ओर से इसी साल से शुरू हुए राजस्थान की वर्ष की सर्वश्रेष्ठ महिला खिलाड़ी का प्रथम सुंदर कांति जोशी पुरस्कार के लिए चयन हुआ है। राजस्थान सुंदर कांति जोशी पुरस्कार की चयन समिति ने रविवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर इन पुरस्कारों के लिए महिला खिलाडिय़ों के नामों की घोषणा की। जिसमें सांगोद की आयुषी गर्ग को प्रथम सुंदर कांति जोशी पुरस्कार के लिए चयन किया है। आयुषी प्रदेशभर में सीनियर वर्ग में एकमात्र क्रिकेट खिलाड़ी है जिसे इस पुरस्कार से नवाजा जाएगा। आयुषी को यह पुरस्कार तीन अप्रेल को समारोह में दिया जाएगा।
11 साल से खेल रही
आमतौर पर बेटियों को खेलों में आगे बढऩे की बात आती है तो या तो परिवार पीछे हट जाते है या फिर अन्य कोई समस्या आ जाती है जो बेटियों के सपने में रूकावट बन जाते है। लेकिन आयुषी के साथ ऐसा नहीं रहा। वो पिछले ग्यारह साल से क्रिकेट खेल रही है और प्रदेश के साथ ही देश के अलग-अलग राज्यों में आयोजित क्रिकेट प्रतियोगिताएं खेल चुकी है और कई पदक और पुरस्कार भी जीते है।
परिवार का पूरा साथ
आयुषी के पिता दिलीप गर्ग व चाचा कृष्णकुमार गर्ग ने पत्रिका को बताया कि जब वो सात साल की थी तो क्रिकेट खेलने का शौक लग गया। बेटी को क्रिकेट खेलते देख पहले तो थोड़ा अचरज हुआ और मन में कई तरह के सवाल भी आए। आखिरकार उन्होंने आयुषी के हाथ में बॉल और गेंद पकड़ा दी। उसके बाद उसके बाल मन ने क्रिकेट की दुनिया में श्रेष्ठता साबित करने की ठान ली।
Published on:
10 Mar 2021 12:17 am
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