
कोटा .
प्याज बोने वाले किसानों के बीच एक कहावत है कि 'प्याज को घाटो तो प्याज ही भरै है। करीब आठ साल बाद आंसू बहाने वाली प्याज ने ही किसानों के आंसूओं को पौंछा है। वैसे प्याज तो हर साल रुलाती है। कभी किसान को तो कभी उपभोक्ता को। इस बार प्याज खरीदने वाले लोग आंसू बहा रहे हैं। इस बार किसानों को प्याज के अच्छे दाम मिल रहें हैं। इससे उनको काफी खुशी मिली है। यही आस अब वह लहसुन से भी कर रहें हैं।
लहसुन से नहीं छूटा मोह
लगातार गिरते दामों के बावजूद भी हाड़़ौती के किसानों का लहसुन की खेती से मोह नहीं छूटा। हाड़ौती के किसानों ने अन्य सालों के समान ही इस साल भी लहसुन की खेती पर दाव खेला है। हाड़ौती में अब तक एक लाख तीन हजार 715 हैक्टेयर में लहसुन की बुवाई हो चुकी है। इसके अलावा भी कई किसान ऐसे हैं। जो लहसुन की खेती की तैयारी कर रहे हैं।
होने लगी निराई-गुढ़ाई
अगेती की लहसुन की बुवाई करने वाले किसानों द्वारा इन दिनों खेतों में लहसुन की निराई-गुढृाई की जा रही है। खेतों में महिलाएं समूह में काम करती देखी जा रही है। जहां सुबह से शाम तक महिलाएं लहसुन की खरपतवार हटाना, निराई कर मिट्टी खोदने का काम करती नजर आ रही है।
बारां में हुई सबसे ज्यादा बुवाई
हाड़ौती में इस साल भी लहसुन की सबसे ज्यादा बुवाई बारां जिले में हो रही है। बारां जिले में अब तक 40 हजार 646 हैक्टेयर में, झालावाड़ जिले में 29 हजार 515 हैक्टेयर में, कोटा जिले में 25 हजार 440 हैक्टेयर में तथा बूंदी में आठ हजार 110 हैक्टेयर में लहसुन बुवाई हो चुकी है। अब तक संभाग में कुल एक लाख 3 हजार 771 हैक्टेयर में लहसुन की बुवाई हो चुकी है।
कोटा खंड उद्यान विभाग संयुक्त निदेशक रामावतार शर्मा का कहना है कि विभागीय रिकार्ड के अनुसार गत वर्ष 1.18 लाख हैक्टेयर में लहसुन की बुवाई हुई है। आशानुरूप भाव नहीं मिलने से इस साल किसानों का रुझान थोड़ा कम है। फिर भी हाड़ौती में एक लाख तीन हजार 711 हैक्टेयर में अब तक लहसुन की बुवाई हो चुकी है। कई किसान अभी भी बुवाई में जुटे हैं।
Updated on:
01 Dec 2017 08:39 pm
Published on:
01 Dec 2017 08:36 pm
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