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कोटा सिटी बसों में करोड़ों का घोटाला, फर्जी टिकट देकर दिया जा रहा था यात्रियों को धोखा

सिटी बसों में टिकट घोटाले में प्रिंटिंग प्रेस मालिक गिरफ्तार को जेल भेजा। फर्जी टिकट सप्लाई करने वाला एक दिन के रिमांड पर।

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कोटा

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ritu shrivastav

Dec 15, 2017

chhindesara

कोटा सिटी बस

कोटा . नगरीय परिवहन की बसों में यात्रियों को फर्जी टिकट देकर करोड़ों का घोटाला करने के मामले में विज्ञान नगर पुलिस ने प्रिंटिंग प्रेस के मालिक को भी गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने फर्जी टिकट सप्लाई करने वाले को एक दिन पहले ही गिरफ्तार कर लिया था। उधर, निगम ने भी अपने स्तर पर मामले की जांच शुरू करवा दी है। उप निरीक्षक रमेश चंद ने बताया कि सिटी बसों के जांच अधिकारी अजीत सिंह की रिपोर्ट पर बुधवार को मुकदमा दर्ज किया था।

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सप्लायर और प्रिंटिंग प्रेस मालिक की मिली भगत

मामले में बुधवार को ही प्रिंटिंग प्रेस मालिक से मिली भगत कर फर्जी टिकट परिचालकों को सप्लाई करने वाले तुल्लापुरा निवासी ललित कुमार को गिरफ्तार कर लिया था। देर रात को इंद्रा मार्केट निवासी जय दुर्गा प्रिंटिंग प्रेस मालिक कैलाश भार्गव को भी गिरफ्तार कर लिया। दोनों को गुरुवार को अदालत में पेश किया जहां से कैलाश को 23 दिसम्बर तक जेल भेज दिया। ललित को एक दिन के पुलिस रिमांड पर लिया है। पुलिस ने बताया कि नगर निगम की ओर से टिकटों की प्रिंटिंग का टेंडर व कागजी कार्यवाही और लेनदेन कैलाश भार्गव के नाम से ही किया जा रहा है। इसने ललित से मिलीभगत कर यह कार्य किया। ललित से पूछताछ की जा रही है। उन परिचालकों के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है जिन्हें अब तक इस तरह के टिकट सप्लाई किए गए हैं।

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अधिक मुनाफे के चक्कर में छपवाए

एसआई ने बताया कि ललित से बुधवार को जिस सिरीज के टिकटों का बंडल बरामद हुआ था, उस सिरीज के टिकट तो मई में ही जारी हो गए थे। उन्होंने बताया कि कैलाश को तो टिकट छापने का टेंडर मिला हुआ था लेकिन उसने लाभ के लिए फर्जी टिकट छापकर देना शुरू कर दिया। करीब 5 हजार के टिकट पर 15000 रुपए से अधिक कमा रहे थे। प्रतिपक्ष नेता अनिल सुवालका ने सिटी बसों के टिकट घोटाले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि सिटी बसों को जानबूझ कर घाटे में दिखाने के लिए निगम के कुछ लोगों ने मिलीभगत कर यह घोटाला किया है। इसकी विशेष टीम गठित कर जांच होनी चाहिए।

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शिकायतों को दबा गए अधिकारी

गैराज समिति अध्यक्ष गोपालराम मंडा और बस चालकों ने महापौर व आयुक्त को गड़बड़ी के बारे में शिकायत देकर जांच की मांग की थी, लेकिन अधिकारियों ने जांच नहीं की। इससे आठ माह में ही सिटी बसों के संचालन में करीब छह करोड़ रुपए का घाटा हो गया। चालकों ने तो आरोप लगाया कि ठेका कम्पनी की ओर से उन्हें बिना टिकट यात्रा करवाने के लिए दबाव बनाया जाता था। चालकों ने कहा कि फर्जी टिकट चलाने का काम काफी समय से चल रहा था, इसके बारे में सेवा प्रदाता कम्पनी के कर्मचारियों की भी मिलीभगत है।