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किसानों की समस्या पर बोले मंत्री : मेरे पास जादू का डंडा नहीं जो घुमा दूं

locationकोटाPublished: Nov 09, 2017 01:16:32 pm

Submitted by:

santosh

भामाशाह मंडी में कृषक संवाद कार्यक्रम में किसान प्रतिनिधियों ने केंद्रीय कृषि कल्याण मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के सामने अपनी समस्या रखीं।

Farmers (Demo Pic)

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कोटा। भामाशाह मंडी में कृषक संवाद कार्यक्रम में किसान प्रतिनिधियों ने केंद्रीय कृषि कल्याण मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के सामने अपनी समस्या रखीं। इस पर शेखावत ने दो टूक कहा कि मेरे पास जादू का डंडा नहीं जो घुमा दूं। अगर वो होता तो सबसे पहले मैं किसान पर घुमाता। उनकी तकदीर बदल देता। दो घंटे तक चले कृषक संवाद कार्यक्रम में एक दर्जन से अधिक किसान प्रतिनिधियों ने किसान, खेती से सम्बंधित समस्याओं को शेखावत के सामने रखा।
बाद में शेखावत ने कहा कि आजादी के बाद देश में किसानों के हित में पहली बार काम हुआ है। किसानों के हमेशा से ही दो दुश्मन रहे हैं। मौसम और मार्केट। मौसम का इलाज तो मोदी सरकार ने हर खेत का बीमा करके कर दिया। मार्केट की समस्या का समाधान ईनाम योजना के तहत किया जा रहा है। देश की 595 मंडियों को इलेक्ट्रोनिक प्लेटफार्म से जोड़ा है। इस योजना के तहत ऑनलाइन पोर्टल पर उपज का मूल्य निर्धारित किया जाएगा।
‘एक हजार रुपए दे दो तो मंडी वाले मिट्टी भी खरीद लेते हैं’
किसानों ने उड़द की खरीद में चले रहे घालमेल के बारे में मंत्री को आड़े हाथों लिया। साथ ही उलाहना दिया कि सरकारी कर्मचारी, खरीद केंद्र के पर्यवेक्षकों को हजार रुपए देते ही उड़द क्या मिट्टी भी खरीद लेते हैं। पैसे नहीं देने पर गुणवत्ता का बहाना कर उड़द को नापास कर देते हैं। मंत्री ने कहा कि अगर कोई कर्मचारी खरीद में गड़बड़ी करने वाले एक भी कार्मिक को नहीं छोड़ा जाएगा। किसान को उपज का पूरा दाम मिलना चाहिए। अगर इसमें अधिकारी या व्यापारी दोनों में से कोई भी लापरवाही करेगा तो सीधा जेल जाएगा।
भाषण सुनने नहीं आए, किसानों से संवाद करो
कृषक संवाद कार्यक्रम में सांसद ओम बिरला, विधायक संदीप शर्मा के उद्बोधन के बाद ज्यों ही विधायक हीरालाल नागर बोलने लगे तो किसान प्रतिनिधियों ने विरोध शुरू कर दिया। भारतीय किसान संघ प्रांतीय अध्यक्ष मोहनलाल नागर ने कहा कि हम यहां नेताओं के भाषण सुनने नहीं आए। किसानों को तो चुपचाप बैठा रखा है। नेता भाषण पर भाषण दिए जा रहे हैं। इस पर नेताओं के भाषण तत्काल बंद कर किसानों के बीच में माइक भेज कर उनसे सीधा संवाद कार्यक्रम शुरू किया।
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