
मंडी में लहसुन (फाइल फोटो: पत्रिका)
दीपावली पर पैसों की जरूरत के चलते कई किसान घर व खलिहानों में भंडारण किए लहसुन को मंडियों में बेच रहे है। लेकिन भाव कम होने से लहसुन उत्पादक किसानों को अच्छे मुनाफे की उम्मीद धूमिल हो रही है। लहसुन की फसल को किसानों के लिए संकट मोचक माना जाता है।
लहसुन किसानों को आर्थिक संबल देती है। साल 2022 किसानों के लिए संकटपूर्ण रहा, फिर 2023 और 2024 में अच्छे दाम मिलने से राहत मिली थी, लेकिन 2025 आते ही स्थिति फिर से किसानों की उम्मीदों के विपरित है। इस साल किसानों ने दाम बढऩे की उम्मीद में उपज रोक ली और भंडारण कर लिया। शुरुआत में कीमत कम रहने से किसानों ने तेजी की उम्मीद में लहसुन नहीं बेचा। दाम लगातार गिर रहे हैं।
इस साल लहसुन में शुरुआत से ही मंदी का माहौल बना रहा और अब दाम इतना गिर गया कि किसानों की लागत भी निकालना मुश्किल हो गई है। वर्तमान में स्थिति यह है कि पिछले साल 30 हजार से 35 हजार रुपए प्रति क्विंटल बिकने वाले लहसुन की कीमत अब 6 से 7 हजार रुपए पर ही आ गई है। इस कीमत पर मुनाफा तो दूर लागत निकालना भी मुश्किल है।
किसानों की माने तो इस साल मार्च की शुरुआत में मंडी में लहसुन आ गया था लेकिन गत वर्ष की तरह भाव बढ़ने की उम्मीद में कई किसानों ने उपज रोक ली। इस बार जून में ही बारिश शुरू हो गई। लहसुन घर में पड़ा रहा और दूसरी फसल की तैयारी में समय लगा। कटाई और छंटाई में भी ज्यादा समय लगा। धूप निकलने पर ही सफाई कर पैक किया गया, जिससे मंडी में माल देर से पहुंचा।
अच्छे भाव की उम्मीद में लहसुन को स्टॉक किया था। भाव तो बढ़ा नहीं बल्कि लहसुन सूखता गया, उसका वजन कम होता गया। इससे किसानों पर दोहरी मार पड़ गई। दीपावली पर पैसों की जरूरत है तो कम दाम पर ही उपज बेचने की मजबूरी है।
रामकल्याण मेहता, किसान
उम्मीद थी की पूर्व की तरह इस साल भी लहसुन का भाव बढ़ेगा। लेकिन मौजूदा समय में जो भाव मिल रहा है उससे किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही। जितने बीघा का खर्चा आया है वो लागत भी नहीं निकल रही है।
जगदीश प्रसाद, किसान
Published on:
08 Oct 2025 03:00 pm
बड़ी खबरें
View Allकोटा
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
