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पत्रिका की खबर का असर: अब आईएल में बेखोफ घूमेंगे मोर, राष्ट्रीय पक्षी की सुरक्षा में तैनात होंगे गार्ड

इंस्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड (आईएल) के आवासीय परिसर में अब मोर बेखौफ होकर झूम सकेंगे।

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कोटा .

इंस्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड (आईएल) के आवासीय परिसर में अब मोर बेखौफ होकर झूम सकेंगे। राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित समाचार पर संज्ञान लेते हुए जिला कलक्टर ने नगर विकास न्यास को मोरों की सुरक्षा के लिए गार्ड तैनात करने के लिखित निर्देश जारी किए हैं। गार्डों पर आने वाला खर्च भी यूआईटी को ही उठाएगा।
आईएल की आवासीय कॉलोनी में 600 से भी ज्यादा मोर चहकते थे। सालों से आईएल प्रबंधन ही उनके खाने और सुरक्षा का इंतजाम करता था। कॉलोनी में आने वाले लोग मोरों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएं, इसलिए इस पूरे इलाके को राष्ट्रीय पक्षी संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया गया, लेकिन कंपनी बिकने के बाद यहां रह रहे कर्मचारियों से परिसर खाली करा लिए गए और यह पूरा इलाका वीरान हो गया। इसके बाद मोरदाने-पानी को मोहताज हो गए, सुरक्षा प्रबंध लचर होने से उनकी जान पर भी बन आई।

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दिए निर्देश
इस बाबत राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित समाचार पर संज्ञान लेकर जिला कलक्टर रोहित गुप्ता ने राष्ट्रीय पक्षी संरक्षित क्षेत्र की सुरक्षा का पुख्ता प्रबंध करने की पहल की है। उन्होंने यूआईटी सचिव को पत्र लिखकर मोरों की सुरक्षा पुख्ता करने के निर्देश दिए हैं। यूआईटी सचिव को भेजे पत्र में जिला कलक्टर ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि गार्ड तैनात करने पर आने वाला खर्च यूआईटी को ही वहन करना होगा। इसके साथ ही आईएल प्रबंधन भी आवासीय कॉलोनी में खड़े पेड़ों को पानी देने में जुट गया है। दोनों फैसलों के बाद पेड़ों के साथ-साथ मोरों को बचाने की मुहिम का असर दिखने लगा है।

जिला कलक्टर रोहित गुप्ता ने बताया क‍ि नगर विकास न्यास को लिखा है कि आईएल परिसर में मोरों का ध्यान रखें, वहां सुरक्षाकर्मी लगाए जाएं।

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राजस्व विभाग जल्द लेगा आईएल की जमीन पर कब्जा
कोटा. झालावाड़ रोड स्थित आईएल की जमीन पर जल्द ही राजस्व विभाग कब्जा लेगा। कारखाने के बंद होने के बाद से इस जमीन को राजस्व विभाग को हस्तांरित करने की प्रक्रिया कई माह से चल रही है। सूत्रों के अनुसार जिला कलक्टर रोहित गुप्ता ने तहसीलदार को आईएल की जमीन पर कब्जा लेने के आदेश जारी कर दिए हैं।

सबसे पहले खाली भूभाग की नापतोल करके कब्जे में लिया जाएगा। इसके बाद भवनों के बारे में निर्णय होगा। राजस्व विभाग के पास भूमि आने के बाद इसे नगर विकास न्यास को हस्तांतरित किया जाना प्रस्तावित है। राजस्व नियमों के अनुसार जमीन सीधे न्यास को हस्तांतरित नहीं हो सकती, इसलिए पहले तहसीलदार कब्जे में लेकर इसे सिवाचयक घोषित करेंगे। उसके बाद आगे की प्रक्रिया होगी।

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राजस्थान पत्रिका ने उठाई आवाज
आईएल की भूमि लेने के बाद सरकार ने यहां आवासीय और व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स विकसित करने की योजना बनाई। इसके लिए यूआईटी को नोडल एजेंसी बनाया गया है, लेकिन ऐसा होने से इस जमीन पर खड़े 5000 से भी ज्यादा पेड़ों को काटना पड़ेगा, जबकि शहर का शुमार देश के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में 58वें स्थान पर हो रहा है। नए कोटा की सांसों में घुलते जहर को रोकने के लिए राजस्थान पत्रिका ने इस इलाके को रायपुर की तर्ज पर ऑक्सीजोन बनाने और उसमें मोरों को संरक्षित करने की मुहिम चलाई। इसी दौरान सामने आया कि कॉलोनी में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध नहीं होने के कारण असामाजिक तत्व राष्ट्रीय पक्षी का शिकार कर रहे हैं।