7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

रंग लाने लगी जापान से पीएम मोदी की दोस्ती, तोहफे में मिले हैरत में डालने वाले पोर्टेबल हॉस्पिटल

जापान से दोस्ती के बदले भारत को बुलेट ट्रेन के बाद पोर्टेबल हॉस्पिटल भी मिले हैं। इन पर न तो भूकंप और न ही सर्दी-गर्मी का असर होगा।

2 min read
Google source verification
Sub Health Centers in Rajasthan, Sub Health Centers Constructed By Japanese Technology, Japanese Construction Technology, PM Modi, Japanese PM Shinzo Abe, Indo-Japanese Friendship, Rajasthan Patrika, Kota Patrika, Health News Rajasthan, National Rural Health Mission, NRHM

health centers are being constructed by Japanese technology in Rajasthan

भारत और जापान की दोस्ती रंग लाने लगी है। इस दोस्ती का जापान को कितना फायदा हुआ है ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन भारत में इसका असर जरूर दिखने लगा है। इंडो-जापान दोस्ती का पहला तोहफा बुलेट ट्रेन के तौर पर भले ही गुजरात को मिला हो, लेकिन दूसरा तोहफा राजस्थान के हिस्से आया है। जापान ने राजस्थान के हाड़ौती इलाके को बेहद कमाल के पोर्टेबल हॉस्पिटल बनाने की तकनीकि और संसाधन दिए हैं। जिसके जरिए कोटा समेत पूरे प्रदेश में बेहद कम कीमत पर भूकंपरोधी पोर्टेबल हॉस्पिटल तैयार हो रहे हैं। इन जापानी पोर्टेबल हॉस्पिटल की बड़ी खासियत यह है कि राजस्थान की चिलचिलाती गर्मी को भी बेअसर करने में सक्षम हैं।

नेशनल रूरल हेल्थ मिशन (एनआरएचएम) के तहत राज्य में जापानी तकनीक से उप स्वास्थ्य केन्द्रों का निर्माण कराया जा रहा है। इन भवनों की खास बात यह है कि यह भूकंपरोधी, पोर्टेबल व सस्ते होंगे। यही नहीं, सर्दियों में 5 डिग्री अधिक गर्म व गर्मियों में 5 डिग्री अधिक ठंडे रहेंगे। हाड़ौती के चार जिलों में करीब 81 स्वास्थ्य केन्द्रों का निर्माण कार्य इस तकनीक से पूरा हो गया है। रावतभाटा क्षेत्र में आधा दर्जन गांवों में ये स्वास्थ्य केन्द्र बनने थे। इनमें से चार का कार्य अंतिम चरण में हैं।

Read More: घर से निकले थे कोर्ट मैरिज करने रास्ते में ही चुन्नी और स्कार्फ का फंदा बनाकर लगा ली फांसी

कहीं भी किए जा सकते हैं शिफ्ट

जापानी तकनीक से इन भवनों के निर्माण में समय कम लग रहा है। आवश्यकता न होने पर इसके अधिकांश हिस्से (तकरीबन 80 फीसदी) को जरूरत पड़ने पर कभी भी पूरा का पूरा उठाकर शिफ्ट किया जा सकता है। इसकी एक बड़ी विशेषता यह भी है कि इसमें सीलन का झंझट नहीं है। रंगाई-पुताई की भी आवश्यकता नहीं है।

Read More:आनंदपाल एनकाउंटर के बाद भी बुलंद हैं इन 2 गैंग के हौसले, गवाह को धमकाने के लिए कोर्ट में ही भिड़े

एेसे होता है निर्माण

भवन के लिए नींव का बेस तैयार किया जाता है। इसके बाद इसमें लोहे के स्ट्रक्चर को तैयार कर विशेष तरह की शीट लगाकर दीवारें तैयार की जाती हैं। छत भी इन विशेष शीटों की ही होती है। उप स्वास्थ्य केन्द्र भवनों में से प्रत्येक 12 सौ वर्ग फीट में एक लेबर रूम, एक डाक्टर रूम, एक जनरल वार्ड मय टॉयलेट, दो स्टॉफ रूम मय टॉयलेट व दो किचन बनाए गए हैं। सीलन व पुताई संबंधी समस्या नहीं होने से ये अन्य भवनों से अधिक हाईजेनिक हैं। योजना के तहत रावतभाटा में उप स्वास्थ्य केन्द्र बनाने के लिए छह गांवों का चयन किया गया था। इनमें दीपपुरा, कोटड़ा, धारणी, जगपुरा, कोलपुरा व अलसेड़ा गांव शामिल हैं। दीपपुरा, कोटड़ा, धारणी, जगपुरा में काम पूरा हो चुका है। कोलीपुरा व अलसेड़ा में काम अंतिम चरण में है।

Read More: मोदी सरकार पर चीता बोलेः वो पूछते थे क्यों मारा, ये कहते हैं उन्होंने एक मारा तुम दो मारो...

यहां हुआ निर्माण

झालावाड़ में सर्वाधिक 49 उपस्वास्थ्य केन्द्र इस तकनीक से बनाए गए हैं। इनके अलावा बूंदी में 20, बारां में एक व कोटा जिले में करीब 11 केन्दों का निर्माण कराया गया है। रावतभाटा खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. जीजे परमार ने बताया कि रावतभाटा क्षेत्र के 6 गांवों में जापानी तकनीक से उप स्वास्थ्य भवन तैयार किए जा रहे हैं।