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video: जानलेवा कारखानों के बीच चल रहें हॉस्टल्स, कैसे सुरक्षित रहेंगे विद्यार्थी

कोटा में सारे नियमों को तांक में रखकर हॉस्टल्स का संचालन किया जा रहा। जिम्मेदार मौन हैं और खामियाजा लाखों कोचिंग विद्यार्थियों को भुगत रहे है।

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जानलेवा कारखानों के बीच चल रहें हॉस्टल्स,कैसे सुरक्षित रहेंगे विद्यार्थी

शासन-प्रशासन की शह के चलते इन्द्रप्रस्थ औद्योगिक क्षेत्र में नियमों को धता बताकर उद्योगों की जगह हॉस्टल खड़े हो गए। इनमें करीब तीस हजार कोचिंग विद्यार्थी रहते हैं। हॉस्टल बहुल क्षेत्र के आस-पास कई केमिकल्स, गैस आधारित उद्योग संचालित हैं। एेसे में छात्र-छात्राओं की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। औद्योगिक क्षेत्र में कबाड़ फैक्ट्री में संचालित अवैध हॉस्टल में प्रस्थकार्बन-डाई-ऑक्साइड गैस के रिसाव की घटना के बाद पत्रिका टीम ने रविवार को क्षेत्र का दौरा किया। जहां साफ साफ देखा गया कि शहर में विद्यार्थियों की जान को कैसे जोखिम में डाला जा रहा है।

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केमिकल के धूएं से छात्रों का सांस लेना मु‍श्किल

इस दौरान सामने आया कि हॉस्टलों के आस-पास केमिकल उद्योग चल रहे हैं। इनसे निकलने वाले धुएं से छात्र-छात्राओं का दम घुटता है। सांस लेना दूभर हो जाता है। उद्योगों की खटपट के बीच दिनभर विद्यार्थी रहते हैं। इससे पढ़ाई प्रभावित होती है। रीको ऑफिस के पास ही केमिकल उद्योग संचालित हो रहे हैं।

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औद्योगिक क्षेत्र के लिए आरक्षित है इन्द्रप्रस्थ

इन्द्रप्रस्थ क्षेत्र को मास्टर प्लान में औद्योगिक क्षेत्र के लिए आरक्षित किया गया है। मास्टर प्लान में निर्धारित भू-उपयोग तथा संस्था द्वारा आवंटित भू-उपयोग से भिन्न उपयोग प्रस्तावित करने की स्थिति में भू-उपयोग परिवर्तन नियन 2000 एवं 2010 के तहत कार्रवाई का प्रावधान है। इन नियमों के तहत भू-उपयोग परिवर्तन की प्रक्रिया निर्धारित की गई है एवं समितियों का गठन किया गया है, जिसके तहत भू-उपयोग परिवर्तन के आवेदन प्राप्त होने पर जांच के बाद ही वरिष्ठ नगर नियोजक कोटा जोन की टिप्पणी भी प्राप्त करने का प्रावधान है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा।

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जनसुरक्षा के लिए घातक

करीब पांच साल पहले तत्कालीन जिला कलक्टर जी.एल. गुप्ता के निर्देश पर जिला प्रशासन, नगर विकास न्यास, प्रदूषण नियंत्रण मण्डल तथा रीको की संयुक्त कमेटी गठित कर हॉस्टलों की जांच करवाई थी। इसमें पाया था कि औद्योगिक क्षेत्र में आवासीय, होटल, हॉस्टल व शैक्षणिक गतिविधियां संचालित किया जाना पर्यावरण की दृष्टि से भी उचित नहीं है।

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ये है नियम

रीको अपने अधीन जमीन को भूमि निस्तारण नियम 1979 के तहत ही इस्तेमाल कर सकता है। इन नियमों के आवासीय प्रावधानों के अनुसार रीको औद्योगिक क्षेत्र के भीतर पांच एकड़ से बड़े भूखण्डों पर आवासन के लिए सिर्फ पांच फीसदी भूमि इस्तेमाल की मंजूरी दे सकता है। जानकारों के अनुसार इस नियम की आड़ में हॉस्टल और अन्य गैर औद्योगिक उपयोग के लिए भूमि का उपयोग परिवर्तन किया जा रहा है। औद्योगिक क्षेत्रों में अवैध रूप से हॉस्टलों के संचालन का मामला विधानसभा में भी उठा था। इसके बाद रीको ने एक दर्जन भूखण्डों का आवंटन निरस्त कर दिया था। बाद में भूखण्ड मालिक अदालत में चले गए।

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भीमपुरा में शिफ्ट होना था

जिला प्रशासन ने केमिकल और गैस उद्योगों को आबादी क्षेत्र के आस-पास संचालित करने को खतरनाक मानते हुए शहर के करीब 30 किमी दूर झालावाड़ रोड पर भीमपुरा में संचालित करने के निर्देश दिए थे। इन्द्रप्रस्थ औद्योगिक क्षेत्र व लघु औद्योगिक क्षेत्र में संचालित केमिकल और गैस उद्योगों को भीमपुरा में जगह भी आवंटित की है, लेकिन वहां गिनती के ही उद्योग चल रहे हैं।

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ये लोगों है राय

कोचिंग छात्र जतिन ने कहा इण्डस्ट्रीज के बीच हॉस्टल होने से पढ़ाई में खासी परेशानी होती है। रातभर कारखानों से तेज आवाज आती है। प्रदूषण भी फैला रहता है, इस कारण शुद्ध हवा तक नसीब नहीं होती। कई बार तो तेज आवाज के कारण सिर दर्द तक होने लगता है। आसपास हमेशा ही गैस की दुर्गंध आती है, जबकि यह साइलेन्ट जोन होना चाहिए। जिला उद्योग केन्द्र के महाप्रबंधक वाई.एन. माथुर ने कहा औद्योगिक क्षेत्र में हॉस्टलों का संचालन नहीं होना चाहिए। रीको को इस दिशा में कार्रवाई करनी चाहिए। लघु उद्योग कॉउन्सिल कोट के अध्यक्ष एल.सी. बाहेती ने कहा औद्योगिक क्षेत्रों में गैर उत्पादन गतिविधियों का संचालन नहीं होना चाहिए। प्रशासन और रीको को समय रहते उचित कदम उठाना चाहिए था।