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Human story: मां-बाप ने मासूम के पैरों में 5 साल से बांध रखी है जंजीर, वजह जान रो पड़ेगा आपका दिल

अपने लाडले को जरा सी चोट आ जाए तो मां का कलेजा मुंह को आ जाता है, एक माता-पिता ने अपने बेटे को 5 साल से जंजीरों में जकड़ रखा है।

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कोटा

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Zuber Khan

May 26, 2018

human story

मां-बाप ने मासूम के पैरों में 5 साल से बांध रखी है जंजीर, वजह जान रो पड़ेगा आपका दिल

कोटा . अपने लाडले को जरा सी चोट आ जाए तो मां का कलेजा मुंह को आ जाता है, लेकिन एक माता-पिता ने अपने बेटे को 5 साल से जंजीरों में जकड़ रखा है। उसकी जिंदगी बस ये जंजीरें ही हैं। आखिर वो करें भी क्या। बेटे की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। इलाज में सब कुछ बिक गया, अब परिवार की माली हालत खराब है और इलाज बंद सा हो गया है। जंजीरों से खोलते हैं तो घर और बाहर वाले परेशान हो जाते हैं।

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बेटे की ऐसी जिंदगी को देखकर परिवार रोज रोता है। ये सितम बीत रहा है, लाडपुरा करबला निवासी मेहरान (13) के साथ। पिता अब्दुल नफीस व मां शबनम भी इसकी बेडिय़ों के साथ ही बंध गए हैं। कहीं जा नहीं सकते, कुछ काम नहीं कर सकते। एक बड़ा बेटा है, उसकी कमाई से जैसे-तैसे दो जून की रोटी जुटा लेते हैं। कभी काम नहीं लगता तो पड़ोसी तरस खाकर कुछ खाना दे जाते हैं।

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बहन की आंख फोड़ी, छत से धक्का दिया

माता-पिता बताते हैं कि मेहरान 4 साल का था, तब सीढिय़ों से गिरकर घायल हो गया। उसके बाद उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ गई। इलाज कराया, लेकिन ठीक नहीं हुआ। मां नम आंखों से बताती हैं कि करीब एक वर्ष पूर्व उसके हाथ में सूई आ गई, जिसे मेहरान ने अपनी बड़ी बहन खुशनुमा की आंख में घुसा दिया। काफी इलाज के बाद उसकी रोशनी वापस आई। एक बार घर की छत पर खड़ी होकर खुशनुमा कचरा फेंक रही थी तो मेहरान ने उसे धक्का दे दिया और वह नीचे गिर गई, पैर में फ्रेक्चर हो गया। कॉलोनी वाले भी अब मेहरान से डरते हैं, इसलिए परिवार उसे बेडिय़ों में जकड़े रखता है।

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संघर्ष कर रहा भाई
मां शबनम ने बताया कि उनका बड़ा बेटा शेरखान भाई के लिए संघर्ष कर रहा है। रंगाई-पुताई कर परिवार का पेट पाल रहा है। पढऩे में तेज होने के बाद भी वह पढ़ नहीं सका। स्कूल स्तर पर तैराकी में प्रथम स्थान आया। 10 साल का था, तभी से घर चला रहा है।

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पढ़ाई नहीं कर पाने से उसकी आंख में आंसू आ जाते हैं। पढ़ाई कराएं कैसे, वह कुछ कमाकर लाता है तो चूल्हा जलता है। जैसे-तैसे कर्ज लेकर उसने बहन की शादी की। पिता का भी दो साल से इलाज चल रहा है। अब परिवार प्रशासन व समाज के प्रबुद्ध लोगों से बच्चे के इलाज की गुहार कर रहा है, ताकि उसकी मानसिक स्थिति ठीक हो जाए और वह घर में रहने लायक हो जाए।