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आशीष जोशी
Fusion Engineering : मेडिकल फील्ड में बढ़ते तकनीक के इस्तेमाल से अब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आइआइटी) ने भी अपनी ब्रांचों में बदलाव तेज कर दिया है। अब इंजीनियरिंग में मेडिकल के फ्यूजन का नवाचार किया गया है। ताकि चिकित्सा जगत की डिमांड के अनुरूप आइआइटी में नई विधा के टेक्नोक्रेट्स तैयार हो सके। भविष्य की आवश्यकताओं को देखते हुए आइआइटी जोधपुर, आइआइटी मद्रास, आइआइटी बीएचयू, आइआइटी रुड़की, तथा आइआइटी हैदराबाद जैसे संस्थानों ने फ्यूजन इंजीनियरिंग की शुरुआत की है। इस बार बायोलॉजिकल-इंजीनियरिंग, बायो-इंजीनियरिंग, बायोमेडिकल -इंजीनियरिंग, बायोसाइंसेज एन्ड बायो इंजीनियरिंग तथा फार्मास्यूटिकल-इंजीनियरिंग जैसी ब्रांचों की तरफ युवाओं का रुझान देखा गया है।
आइआइटी जोधपुर में बायोसाइंस एंड बायोइंजीनियरिंग डिपार्टमेंट है। इसमें बीटेक, एमटेक, एमटेक-पीएचडी (डुऐल डिग्री) और पीएचडी करवाई जा रही है। यहां हेल्थकेयर, एग्रीकल्चर और पर्यावरण के क्षेत्र में नवाचार और नवीन तकनीक के बारे में अध्ययन करवाया जाता है। यहां जेनोमिक्स, ब्रेन प्लास्टिसिटी, स्पाइनल कॉर्ड इंजरी, ब्रेन कम्प्यूटर और ब्रेन नेटवर्क, प्रोटीन इंजीनियरिंग, सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर न्यूरोसाइंस, केमिकल न्यूरोबायोलॉजी, न्यूरोइम्यूनोलॉजी, टिश्यू इंजीनियरिंग, नैनोबायोटेक्नोलॉजी जैसे कई विषयों में रिसर्च भी किए जाते हैं।
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इंजीनियरिंग क्षेत्र में इन दिनों बदलाव ट्रेंड में है। क्लासिकल इंजीनियरिंग और मॉडर्न इंजीनियरिंग के बाद अब फ्यूजन-इंजीनियरिंग का दौर है। क्लासिकल इंजीनियरिंग में इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, सिविल कुछ हद तक इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग जैसी कोर ब्रांचेज हैं। वहीं मॉडर्न इंजीनियरिंग में डाटा-कंप्युटेशन तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अलावा कंप्यूटर-साइंस, मैथमेटिक्स एंड कंप्यूटिंग,डाटा साइंस एवं इंजीनियरिंग जैसी ब्रांचेज शामिल हैं।
1- इंजीनियरिंग की मदद से अत्याधुनिक हेल्थ केयर उपकरण तैयार करना। पेसमेकर-कोक्लियर इम्प्लांट जैसे कई उपकरण बायोमेडिकल इंजीनियरिंग की देन।
2- ऑपरेशन थियेटर संबंधी उन्नत मशीनरी तैयार करना। रोबोटिक सर्जरी में एआई का प्रयोग बढ़ाना।
3- बायोटेक्नोलॉजी में टिश्यू इंजीनियरिंग के जरिए ऊतक पुनर्जनन और कोशिका प्रसार जैसी प्रक्रियाओं में नवीन तकनीक का इस्तेमाल।
4- बायोइंस्ट्रूमेंटेशन, मेडिकल इमेजिंग, न्यूरोइंजीनियरिंग और जेनेटिक इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में विशेष अवसर। ड्रग डिजाइन जैसे क्षेत्र में कॅरियर के अवसर।
5- दवाओं के निर्माण और शोध क्षेत्र में नई तकनीक की डिमांड। रिसर्च एसोसिएट-क्वालिटी कंट्रोल इंजीनियर बनने के अवसर।
6- घुटना और कूल्हा प्रत्यारोपण में बायो इंजीनियरिंग का महत्व। इम्युनो इंजीनियरिंग और जीन थैरेपी के लिए नैनो मैटिरियल तैयार करना।
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Published on:
26 Sept 2024 12:28 pm
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