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उन्होंने बताया कि जांच दल ने संस्था में रहने वाले बच्चों से मौके पर बात की तो उनमें 46 लड़के व 41 लड़कियां मिली लेकिन जब संस्था से बच्चों की सूची मांगी गई तो उन्होंने मात्र 39 की सूची दी। बच्चों की संख्या में इतना बड़ा अंतर आना अपने आप में बड़ी गड़बड़ी है।
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कमरा सीजउन्होंने बताया कि संस्था में रहने वाले अधिकतर बच्चे बिहार, झाबुआ व नॉर्थ ईस्ट के हैं जो जहां हॉस्टल में अस्थायी पते से रह रहे हैं। लेकिन संस्था ने उन सभी बच्चों के जो आधार कार्ड बनवा रखे हैं, स्थायी पता ही बदलकर इमानुएल संस्था कर दिया है। उन्होंने बताया कि संस्था प्रबंधन ने एक कमरा खोलकर ही नहीं दिखाया। इसम़ें उनका काफी रिकार्ड है। उस कमरे को सीज कर पुलिस व प्रशासनिक अधकारियों को अवगत करवा दिया गया है।