
इस अस्पताल में जाना पड़ न जाए जान पर भारी
कोटा .बढ़ता तापमान अस्पतालों के दवा वितरण केन्द्रों में रखी दवाओं की सेहत खराब कर रहा है। अमूमन 25 डिग्री से नीचे और ज्यादातर 30-33 डिग्री से नीचे के तापमान में दुरुस्त रहने वाली दवाएं झुलसाने वाले 45 डिग्री पारे में दम तोड़ रही हैं। पखवाड़े से महीने भर तक इन केन्द्रों में पड़े रहने से ज्यादातर दवाओं की गुणवत्ता कमजोर पड़ गई है। लेकिन, खास बात यह कि रोगियों के जीवन से सीधे जुड़े इस मसले की ओर अस्पताल प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है।
इमेक्सोसिलिन एंड पोटेशियम, क्लेवुनेट, इंसुलिन, एंटीबायटिक सहित कई दवा व इंजेक्शन ऐसे हैं जो 25 डिग्री से अधिक के तापमान पर खराब हो सकते हैं। यूं भी मेडिकल मापदंडों के मुताबिक अधिकांश दवाएं 33 डिग्री से कम तापमान पर ही रखी जानी चाहिए। लेकिन 45 डिग्री की भीषण गर्मी में ये यूं ही दवा वितरण केन्द्रों में रखी हुई हैं।
सीधे आमजन के स्वास्थ्य से जुड़े इस खतरे की ओर अस्पताल प्रशासन का ध्यान ही नहीं है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा दवा वितरण केंद्रों पर इन दवाओं को 'तापघात' से बचाने के कोई इंतजाम नहीं किए हैं। जबकि हर दवा पर स्पष्ट लिखा है कि उन्हें कूलिंग और ड्राय सरफेस पर रखा जाए।
इन दवाओं पर ज्यादा असर
इमेक्सोसिलिन एंड पोटेशियम, क्लेवुनेट, इंसुलिन, आइबूप्रॉफेन, पैरासिटामोल, ह्रदयरोग की दवाएं, एस्प्रिन, एंटीबायटिक, सीरप सहित अन्य दवाओं के साथ इंजेक्शन को भी 25 से 30 डिग्री में रखने के निर्देश हैं, लेकिन नियमों की पालना नहीं हो रही।
यहां उपलब्ध 90 प्रतिशत दवाओं को 30 से 33 डिग्री तापमान से कम पर ही रखने की चेतावनी दवा के डिब्बे पर लिखी है। लेकिन इसे भी नजरअंदाज किया जा रहा। अस्पताल परिसर व अंदर स्थित दवा वितरण केंद्रों पर कूलिंग के लिए कूलर दिए गए हैं लेकिन ये फेल ही साबित हो रहे। दवा केन्द्र पर खुले में रखी दवाएं, (इनसेट में ) दवा पैकिंग पर अंकित तीस डिग्री तापमान में रखे जाने की चेतावनी, यह भी एक दवा वितरण केन्द्र में खुले में रखी थी।
दवा वितरण केन्द्र पर कूलर लगा रखे हैं लेकिन उसके बाद भी यदि दवाओं के खराब होने या अधिक तापमान में रखे जाने की बात सामने आई है तो दिखवाएंगे।
-डॉ. नवीन सक्सेना, अधीक्षक एमबीएस चिकित्सालय्
गुणवत्ता पर आ रहा असर
चिकित्सक बताते हैं कि गर्मी के कारण दवाओं की गुणवत्ता पर भी असर पड़ रहा है। यही हाल दवा केंद्रों के साथ वार्डों में भी बने हुए हैं। सुविधा के लिए महज एक फ्रिज रखा गया है। नि:शुल्क दवा योजना के तहत आने वाली व अन्य दवाओं की गुणवत्ता कम होने से मरीज को ठीक होने में भी समय लग रहा है। कुछ दवाएं तो फूलकर पैकेट में ही चूरा हो गई हैं। दवा वितरण केन्द्र्रों पर खुले में ही दवाएं पड़ी रहती हैं।
Published on:
25 May 2018 04:02 pm
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