
जिला कलक्टर ने किया निरीक्षण, ली बैठक
कोटा. जेके लोन अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओं को लेकर रविवार को जिला कलक्टर ओम कसेरा ने रविवार को अस्पताल प्रशासन एवं सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियों की बैठक ली। बैठक में मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना, अस्पताल अधीक्षक डॉ. एससी दुलारा भी मौजूद रहे। उसके बाद अस्पताल का निरीक्षण किया।
जिला कलक्टर ने कहा कि अस्पताल का विस्तार होगा। यहां डेढ़ सौ बेड का बनाया ब्लॉक बनाया जाएगा। पीडब्ल्यूडी को प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए हैं। यह प्रस्ताव सरकार को भिजवाया जाएगा। उसके बाद अंतिम निर्णय होगा। इसके अलावा 12 बेड के नीकू वार्ड का काम चल रहा है। राज्य सरकार से कुछ बजट आया है। उससे लीकेज छतों को ठीक करवाया जा रहा है।
सीएसआर के तहत नए व खराब उपकरणों को ठीक करवा दिया है। अब अस्पताल में पर्याप्त उपकरण हो गए। सरकार ने पीडियाट्रिक विभाग में डॉक्टर की पोस्ट भर दी। नर्सिंग स्टाफ लगा दिया है। अब 42 बेड पर 40 नर्सिंग स्टाफ हो गया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में ई-उपकरण सॉफ्टवेयर की व्यवस्था नहीं है। मैंने खुद मेडिकल एजुकेशन सचिव से बात की है। सरकार के स्तर पर यह प्रक्रिया विचाराधीन है। हमने अपने स्तर पर उपकरणों को ठीक करवाने के लिए कॉन्ट्रेक्ट देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
उपकरणों की आपूर्ति एवं मरम्मत कार्य की समीक्षा की
जिला कलक्टर ने अस्पताल के बैठक कक्ष में अधिकारियों की बैठक लेकर आवश्यक उपकरणों की मरम्मत एवं उपलब्धता के बारे में समीक्षा की। उन्होंने अस्पताल में लाइट फि टिंग व निर्माण कार्य का तैयार तकमीना पर भी चर्चा कर नवीन प्रावधानों के अनुसार तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने प्रस्तावित नवीन नीकू वार्ड में जाकर निर्माण कार्य का निरीक्षण किया तथा शीघ्रता से कार्य पूरा कराने के निर्देश दिए। उन्होंने अस्पताल के प्रत्येक वार्ड में साफ.-सफ ाई, रोशनी व खिड़कियों में कांच लगवाने, शौचालयों, वार्डो में रंगाई-पुताई व छत के मरम्मत कार्य के बारे में भी निर्देश प्रदान किए।
उपकरणों की होगी बार कोडिंग
जिला कलक्टर ने अस्पताल में उपलब्ध सभी उपकरणों को तीन कैटेगिरी में विभाजित करते हुए वर्तमान में चालू, मरम्मत योग्य, अनुपयोगी उपकरण वार सूची बनाकर सभी उपकरणों की बार कोडिंग करवाने के निर्देश दिए।
भामाशाहों से उपयोगी सामग्री ही लें
जिला कलक्टर ने कहा कि शिशु वार्डों में हीटर ब्लोवर वाले ही लिए जाए, जिससे शिशुओं को ऑक्सीजन की परेशानी नहीं हो। रोड वाले हीटरों से विद्युत जनित घटनाएं होने का भी अंदेशा रहता है। इस अवसर शिशु रोग विभाग के एचओडी डॉ. अमृतलाल बैरवा, पीडब्ल्यूडी अधीक्षण अभियंता आर.एस.झंवर, अधिशासी अभियंता विद्युत विनय समेत अन्य उपस्थित रहे।
Published on:
05 Jan 2020 10:43 pm
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