
BIG NEWS: बिना नाम-पते बताए आपराधिक गतिविधियों की यहां करें शिकायत, तुरंत कार्रवाई करेगी पुलिस
कोटा. संगठित अपराधियों व समाजकंटकों से पुलिस ( Police ) का दोस्ताना किसी से छुपा नहीं है। हर महीने बंधी जो आती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाजवूद शहरों में अवैध बजरी ( Illegal gravel ) से भरे ट्रक बेखौफ एंट्री करते हैं। माफिया बकायदा अफसरों से लेकर कांस्टेबल तक 25 हजार रुपए बांटते हैं। तब जाकर दो जिलों की सीमा पार कर ट्रक शहरों में पहुंच जाते हैं। वहीं, रात को खुले आम तस्कर अवैध शराब बेचते हैं। होम डिलीवरी की सुविधा तक देते हैं। रोकने-टोकने पर पुलिस से बात कराने तक की धमकी देते हैं।
तस्कर कबूल कर चुके हैं कि अवैध शराब ( Illegal Wine ) बेचने के लिए वे खाकी को कीमत अदा करते हैं। हर महीने करीब 60 हजार रुपए पुलिस की जेब में जाते हैं। जिसका खुलासा पत्रिका ने स्टिंगके जरिए किया था। ऐसा नहीं है कि मुखबिरों ने पुलिस को सूचना न दी हो, लेकिन कार्रवाई नहीं की जाती। इतना ही नहीं गत दिनों पहले अवैध कारोबार पर कब्जा जमाने के लिए शराब माफिया ने ट्रांसपोर्ट नगर में चाकुओं से गोदकर युवक की हत्या कर दी थी।
नामजद रिपोर्ट दर्ज होने के बावजूद पुलिस मुखबिरों ( Police informer ) का भरोसा न जीत पाने के कारण पूरे गिरोह के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं जुटा पाई। कार्रवाई के नाम पर दूसरे इलाके के बीट अधिकारी को ही निपटा दिया। जब पुलिस अपनों को ही ठिकाने लगा सकती है तो मुखबिर को क्यों नहीं? ऐसे ही सवाल मुखबिरों को सताने लगे तो उन्होंने भी खाकी से कन्नी काटना ही उचित समझा। इसी का नतीजा है कि चार जघन्य हत्याओं को अंजाम देने वाला एक साइको किलर महिला मजदूर की हत्या कर शव कंधे पर रख 200 मीटर पैदल चलता है और एक स्कूल में फेंक जाता है।
मुखबिरों के पास सूचना थी लेकिन उन्हें पुलिस पर भरोसा नहीं था। शव मिलने पर जब हो-हल्ला मचा तो साइको किलर की तलाश में 18 दिन तक खाकी पूरे प्रदेश में खाक छानती रही। ऐसे कई मामले हैं जिससे पुलिस और मुखबिरों के बीच खाई पैदा हुई। जब सूबे में लगातार आपराधिक घटनाएं होने लगी तो पुलिस सूचनाओं की कमी की वजह तलाशने को मजबूर हुई। नए सिरे से मुखबिरों का नेटवर्क खड़ा करने में वक्त लगता, इसलिए सीधे जनता से मदद मांगी जा रही है।
पुलिस ने जारी किया पोर्टल, यहां करें शिकायत
पुलिस मुख्यालय ने अपने अधिकारिक पोर्टल www.police. rajasthan.gov.in/Feedbackrating.aspx?lb=2 पर फीडबैक ( police feedback ) फार्म अपलोड किया है। इसमें कोई भी शख्स पुलिस के साथ अपने अनुभव साझा कर सकता है। www.police. rajasthan.gov.in पर नागरिक अपने आसपास होने वाली अवांछित घटनाओं और खुले में घूम रहे गंभीर अपराधियों की जानकारी दे सकते हैं। सूचना देने वाले का नाम गारंटी के साथ गोपनीय रखा जाएगा।
आठ मामलों में मदद की दरकार
राजस्थान पुलिस ने अपने आधिकारिक पोर्टल पर प्रदेश के आम नागरिकों से अपने आस-पास होने वाली अवांछित घटनाओं और खुले में घूम रहे गंभीर अपराधियों की जानकारी सीधे पुलिस मुख्यालय को देने की अपील की है। इसके लिए बकायदा पोर्टल पर सब्मिट एक टिप फॉर सिटीजन नाम से लिंक भी तैयार किया है। इसमें जुआ, सट्टा, शराब की अवैध बिक्री, सार्वजनिक स्थल पर नशाखोरी और न्यूसेंस क्रिएट करने वाले, ईवटीजिंग और संगठित अपराधियों आदि आठ मामलों से जुड़ी सूचनाएं साझा की जा सकती हैं।
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गोपनीयता की गारंटी
पोर्टल पर अपलोड किए गए लिंक के साथ ही राजस्थान पुलिस सूचना देने वाले नागरिकों को उनकी पहचान गोपनीय रखने की पूरी गारंटी दे रही है। यही वजह है कि किसी भी टिप देने वाले से उसका नाम, पता और फोन नंबर तक नहीं पूछा जा रहा। पुलिस मुख्यालय शिकायत और सूचनाओं पर बारीक नजर रखेगा, लेकिन सूचनाओं की पड़ताल और कार्रवाई करने की जिम्मेदारी जिला पुलिस की ही होगी।
खोल सकते हैं ब्लाइंड मर्डर ( murder )
अपराधियों की सूचनाएं देने के साथ ही पुलिस अब अनसुलझे जघन्य अपराधों के खुलासे में भी जनता की मदद ले रही है। जिन मामलों का पुलिस तमाम कोशिश करने के बाद भी कोई सुराग नहीं लगा सकी, उन्हें विस्तृत जानकारी के साथ इसी पोर्टल पर अपलोड किया जा रहा है। संबंधित ब्लाइंड केस की परतें खोलने के लिए यदि किसी भी व्यक्ति के पास कोई जानकारी मौजूद है तो उस केस के लिंक को क्लिक कर खोल सकता है और उससे जुड़ी जानकारी पुलिस मुख्यालय के साथ साझा कर सकता है। यहां भी सूचना देने वाले की पहचान जाहिर नहीं करने की पूरी गारंटी ली जा रही है।
Published on:
24 Jun 2019 12:23 pm
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