
राणा प्रताप सागर डेम, पत्रिका फोटो
रणजीत सिंह सोलंकी. शाकिर हुसैन
रावतभाटा. चम्बल नदी परियोजना के राजस्थान की सीमा में सबसे बड़े राणा प्रताप सागर बांध (आरपीएस डेम) 55 साल बाद विभागीय उपेक्षा का दंश झेल रहा है। बांध के गेटों की रिपेयरिंग बेहद जरूरी है। केन्द्रीय जल संसाधन आयोग के निर्देश पर 3 साल पहले चम्बल के बांधों का सेटेलाइट और ड्रोन सर्वे किया था, इसमें बांधों की सुरक्षा को लेकर खतरा माना गया है। इसके बाद वर्ल्ड बैंक से राणा प्रताप सागर बांध, जवाहर सागर बांध और कोटा बैराज के रिनोवेशन के लिए बजट भी जारी कर दिया, लेकिन सरकारी प्रक्रिया में सुस्ती के कारण अभी तक टेंडर तक नहीं हो पाए हैं।
चम्बल नदी पर राजस्थान और मध्यप्रदेश में चार बड़े बांध बने हुए हैं। इनमें गांधी सागर बांध का रिनोवेशन का काम मध्यप्रदेश सरकार के माध्यम से होगा तथा राजस्थान की सीमा में बने राणा प्रताप सागर बांध, जवाहर सागर बांध और कोटा बैराज के रिनोवेशन का काम राजस्थान सरकार के माध्यम से होगा। बांध बनने के बाद तीनों बांधों के गेटों की मरम्मत नहीं हुई है। गेट जंग खा गए। गेटों से पानी का रिसाव हो रहा है। मिट्टी जमने के कारण स्लूज गेट खुल नहीं पा रहे। सभी बांधों को स्काडा सिस्टम से जोड़ा जाएगा, ताकि जल आवक के पल-पल के आंकड़े ऑटोमेटिक मिल जाएंगे।
आरपीएस डेम के 4 स्लूज गेट हैं। इन गेटों को खुले 38 साल हो गए। इन गेटों में भी जंग लग गया। जर्जर हो गए और पानी का लगातार रिसाव जारी है। मरम्मत नहीं होने पर अब बांध की सुरक्षा को लेकर बड़ा खतरा खड़ा हो गया है। प्रशासन की उपेक्षा के चलते बांध से पानी का रिसाव लगातार हो रहा है।
1970 में राणा प्रताप सागर बांध का निर्माण
17 बड़े गेट, 4 स्लूज गेट
6.50 लाख क्यूसेक जल निकासी की क्षमता
1157.50 फीट कुल भराव क्षमता
5.50 लाख हैक्टेयर में चम्बल के बांधों से राजस्थान-मध्यप्रदेश की भूमि होती है सिंचित
बजट के अभाव में फिलहाल काम चलाऊ कार्य ही हो पा रहे हैं। जल संसाधन विभाग ने 2021 में बांधों के जीर्णोद्धार के लिए 150 करोड़ रुपए के प्रस्ताव केन्द्रीय जल आयोग के माध्यम से वर्ल्ड बैंक को भेजे थे। इसके बाद बजट भी जारी हो गया। कोटा बैराज व अन्य बांधों के तीन बार टेंडर जारी किए, लेकिन किसी कम्पनी ने इसमें रुचि नहीं दिखाई। तकनीकी कार्य की जो दर रखी गई थी, उसमें काम करना मुश्किल था। ऐसे में जल संसाधन विभाग ने नए सिरे से प्रोजेक्ट तैयार कर वर्ल्ड बैंक को भेजा है।
पत्रिका टीम राणा प्रताप सागर बांध पहुंची और बांध की सुरक्षा को लेकर विशेषज्ञों से पूरी स्थिति जानी, इसमें सामने आया कि आरपीएस डेम के ऊपर लगी रेलिंग तक जीर्ण-शीर्ण होकर झूलने लगी है। अधिकांश गेटों में जंग लग चुका है। गेट डैमेज हो गए, जिससे पानी का रिसाव होता है। गेट उठाने वाली क्रेन के पार्ट्स नहीं मिलते, उन्हें बदलने की आवश्यकता है।
Published on:
14 Jul 2025 07:30 am
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