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वकील और फरियादियों के आगे छोटा पड़ा अदालत परिसर, चोरों की लगी लॉटरी

कोटा का अदालत परिसर छोटा पड़ गया। रोजाना आने वाले साढ़े 6 हजार लोगों के लोगों के लिए यहां पैर रखने की जगह नहीं बची है।

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Lack of space in the kota court premises

कोटा का संभाग स्तरीय अदालत परिसर इन दिनों जगह की कमी से जूझ रहा है। एक ही परिसर में 50 से ज्यादा अदालतें होने के कारण रोजाना 6 हजार से ज्यादा लोगों की आवाजाही होती है। ऐसे में वकीलों के बैठने के लिए जगह की बात तो छोड़िए फरियादियों से लेकर जजों तक को वाहन खड़े करने के लिए जगह नहीं मिल रही है। इस परेशानी से किसी को फायदा हुआ है तो वह सिर्फ चोर हैं। जो जेब काटने से लेकर वाहनों के पहिये तक खोल ले जाते हैं।







रोजाना आते हैं 6.5 हजार से ज्यादा लोग

करीब 5 हजार से अधिक पक्षकारों, 500 न्यायिक अधिकारी-कर्मचारी और 1000 से ज्यादा वकीलों की रोजाना आवाजाही वाले संभाग मुख्यालय के अदालत परिसर में न तो वाहन खड़े करने की जगह बची है और न ही नए वकीलों के बैठने की। हालत यह कि वाहनों को पार्क में खड़ा करना पड़ रहा। नए वकीलों ने खुले में पाटे लगा लिए।
परिसर में 50से अधिक अदालतें हैं। करीब डेढ़ हजार से अधिक वकील, मुंशी, टाइपिस्ट, स्टाम्प वेंडर, न्यायिक अधिकारी और कर्मचारी रोज आते हैं। पार्र्किंग की निर्धारित जगह कम पड़ने लगी है। दोनों मुख्य द्वारों में प्रवेश से लेकर अंतिम छोर तक, गलियारों और अदालतों के पास व अधिकारियों के चैम्बरों तक के सामने वाहन खड़े दिखते हैं। काफी वाहन दो दिन से सीजेएम न्यायालय के सामने स्थित पार्क में खड़े होने लगे हैं।

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कारों के लिए नहीं बची जगह

परिसर में कारें खड़ा होने की तो जगह ही नहीं है। जल्दी आने वाले वकील व न्यायिक अधिकारियों की ही कारें परिसर में खड़ी हो पाती हैं। देर से आने वाले वकील कार परिसर में ला भी नहीं सकते। उन्हें बाहर सड़क पर ही कार खड़ी करनी पड़ रही है। सर्किट हाउस के सामने से कलक्ट्री चौराहे तक कारें खड़ी हो रही हैं। इससे यह रास्ता भी संकरा हो जाता है। बाहर सड़क पर कारें खड़ी करने से चोरों की पौ बारह हो रही है। आए दिन यहां वाहनों से पहिया, स्टीरियो, पेन ड्राइव और गाड़ी में रखे अन्य सामान चोरी हो रहे हैं। कुछ वकीलों ने तो थाने में भी चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराई है।

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धूप में लगाए पाटे, मांगी स्कूल की जमीन

परिसर में स्थान का इतना टोटा है कि नए आने वाले वकीलों को बैठने की जगह तक नहीं। पुराने वकील चैम्बर व टीनशेडों के नीचे बैठे रहे हैं। नए वकीलों ने गलियारे में और कुछ ने दो दिन से अभियोजन कार्यालय के बाहर खुले में ही पाटे लगाने शुरू कर दिए। उनके सिर पर न टीनशेड है, न ही छाया। अदालत परिसर की पार्किंग के लिए कलक्टर न्यायालय ने पास ही स्थित निजी स्कूल की जमीन अधिग्रहीत करने का आदेश दिया था लेकिन फिलहाल मामला राजस्व अपील प्राधिकारी की अदालत में है। डॉक्टर्स की खाली बंगलों की जगह पर भी सहमति नहीं बन पाई।

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प्रशासन निकाले हल

अभिभाषक परिषद के अध्यक्ष नवीन शर्मा कहते हैं कि अदालत परिसर में जगह कम पड़ने लगी है। अधिवक्ता वाहनों को पार्क में और पाटों को खुले में लगाने को मजबूर हैं। पार्किंग के लिए जिला प्रशासन को प्रयास करने होंगे। प्रशासन चाहे तो सब संभव।