
Meri Raat Meri Sadak Campaign in Kota
सड़कों पर आते ही पीछा करती परछाइयों से आजादी हासिल करने के लिए कोटा की महिलाएं स्टॉकिंग के विरोध में शनिवार की रात सड़कों पर घूमने निकल आईं। रात करीब नौ बजे सिटी मॉल के सामने महिलाओं की भीड़ जुटने लगी। स्टॉकिंग से आजादी हासिल करने के लिए इन महिलाओं ने हाथों में तख्तियां थाम रखीं थी। इस दौरान नुक्कड नाटक का मंचन कर समाज में महिलाओं की स्थित पर तीखी टिप्पणी की गई।
सड़क पर उतर कर मांगी आजादी
सड़क चलती महिलाओं का पीछा करना और उनसे छेड़छाड़ करने (स्टॉकिंग) की बढ़ती घटनाओं के विरोध में शनिवार को कोटा में आधी आबादी ने अनूठे तरीके से प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में शामिल महिलाओं ने बताया की यह एक कोशिश है जिसके द्वारा सड़कों पर महिलाओं की स्थिति सहज करने की कोशिश की जा रही है। हर घटना के बाद भारतीय समाज में सबसे पहले सवाल पूछा जाता हैं के वो बाहर सड़क या रास्ते में क्यो थी, क्या कर रही थी और उसने क्या कपडे पहने या वो किसके साथ थी ? इस नजरिए को बदलने की कोशिश इस कैम्पेन के जरिए कर रहे हैं।
सारे दायरे लड़कियों के लिए ही क्यों
मेरी रात मेरी सड़क कैम्पेन में शामिल रूचि गोयल ने कहा की समाज के लिए अभी तक ये एक टैबू है कि लड़की रात में बाहर क्यों जाती हैं। इस टैबू को तोड़ने की जरूरत है, लेकिन इसे सिर्फ तभी तोड़ा जा सकता हैं, जब महिलाएँ , लड़कियां ज्यादा से ज्यादा सड़कों पर आए और अपनी उपस्तिथि दर्ज़ कराएं। सीमा घोष ने कहा की समाज लड़कियों की जिंदगी में इस कदर दखल देता है कि वह खुद ही सारे दायरे और हदें तय कर देता है, लेकिन अब वक्त आ गया है कि समाज के लिए भी दायरा तय किया जाए कि किसे लड़कियों की जिंदगी में किस दायरे और कितनी हद तक दखल देना है।
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नुक्कड़ नाटक जताई व्यथा
इस दोरान कोटा स्कूल ऑफ़ ड्रामा की ओर से एक नुक्कड़ नाटिका भी प्रस्तुत की गई जिसमे कुछ लड़के रात को आती जाती लडकियों को छेड़ रहे होते है तभी एक लड़की वहा से गुजरती है जब वो उसे भी छेड़ने लगते है तो पता चलता है कि उनमे से एक लड़का उनका भाई निकलता है | एक लड़की एक मां भी होती है एक बहन भी एक बेटी भी हमें इस बात का धयान रखना चहिये।
Published on:
13 Aug 2017 12:28 pm
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