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सबसे अधिक ऊंचाई पर उड़ने वाले विदेशी मेहमानों ने राजस्थान व मध्यपद्रेश के संगम पर बनाया डेरा

मध्यप्रदेश व राजस्थान की सीमा पर बसे ऊंडवा गांव के तालाब पर इन दिनों प्रवासी पक्षियों ने बसेरा बना लिया है। वे लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र बन गए।

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कोटा

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abhishek jain

Dec 07, 2017

Migratory birds

रामगंजमंडी.

मध्यप्रदेश व राजस्थान की सीमा पर बसे ऊंडवा गांव के तालाब पर इन दिनों प्रवासी पक्षियों ने बसेरा बना लिया है। इन पक्षियों की गतिविधियां लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनी हुई हैं। प्रतिवर्ष ये पक्षी यहां आते हैं और दो माह तक यहीं रहते हैं। यहीं पर इनका प्रजनन भी होता है। तालाब में पानी रीतने पर इनका यहां से पलायन हो जाता है।

जानकारी के अनुसार तालाब पर आने वाले विदेशी व देशी पक्षियों में कई ऐसी प्रजाति के हैं जिन्हें यहां बारह माह नहीं देखा जाता। बर्ड वाइल्ड फोटोग्राफी से जुड़े संजय शर्मा ने बताया कि कोटा चंबल नदी के किनारे भी ऐसे पक्षियों को देखा जाता है।

रामगंजमंडी तहसील के ऊंडवा गांव में काफी समय से ये पक्षी आ रहे हैं। तालाब में पानी रीतने पर ये यहां से पलायन कर जाते हैं। यहां आने वाले पक्षियों में हेडेड हंस तिब्बत, काजिकिस्तान, मंगोलिया, रुस से दक्षिण की ओर पलायन करते हुए पहुंचते हैं। ये पक्षी सबसे अधिक ऊंचाई पर उडऩे वाले पक्षियों में शुमार बताए जाते हैं। यह तालाब एक तरफ राजस्थान की सीमा को जोड़ता है तो दूसरा हिस्सा मध्यप्रदेश तक जाता है। साढ़े तीन सौ बीघा के इस तालाब में बारिश के दिनों में पानी की खूब आवक होती है लेकिन सीपेज के कारण सर्दी के मौसम में तालाब रीत जाता है।

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उठती रही है कायाकल्प की मांग
इस तालाब का कायाकल्प करने की मांग यहां के ग्रामीण लंबे समय से उठाते रहे हैं। सिंचाई विभाग की तरफ से तालाब के जीणोद्धार के प्रस्ताव बनाए गए लेकिन वे कागजों में दबकर रह गए। मॉडल तालाब योजना में भी इसके जीर्णोंद्धार की मंजूरी नही मिली। गांव के बुजुर्गाों का कहना है कि ऊंडवा के तालाब में जब पानी का भराव रहता था तो काफी संख्या में प्रवासी पक्षी यहां आते थे।