
NGT orders uneffective, Nanta still the city's trenching ground
कोटा. शहर के माथे पर 18 साल से लगा अवैध ट्रेंचिंग ग्राउंड का दाग मिटने का नाम नहीं ले रहा है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) से लेकर हाई लेवल स्टेट सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रेग्युलरिटी कमेटी तक नान्ता में कूड़ा डालने पर रोक लगाने के निर्देश जारी कर चुकी है, लेकिन इसके बाद भी नगर निगम, यूआईटी और जिला प्रशासन नया ट्रेंचिंग ग्राउंड स्थापित करने के लिए चिह्नित जमीन को मंजूरी नहीं दे सके हैं।
कूड़े का वैज्ञानिक तरीके से निरस्तारण करने के लिए 2001 में राजस्थान अर्बन इन्फ्रास्ट्रेक्चर डवलपमेंट प्रोजेक्ट (आरयूआईडीपी) के तहत प्रदेश सरकार ने नान्ता रोड़ स्थित 16.3 हेक्टेयर जमीन ट्रेंचिंग ग्राउंड के लिए आवंटित की थी। इसका प्राधिकार पत्र हासिल करने के लिए नगर निगम ने 2002 में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (आरएसपीसीबी) को विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट सौंपी थी, लेकिन बोर्ड ने जब निरीक्षण किया तो जैविक, अजैविक और बायोमेडिकल कचरे की छंटाई, कचरे के निस्तारण के लिए वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट, डंपिंग यार्ड के चारों ओर ग्रीन बेस तैयार करने समेत 32 ऐसे काम थे, जो नहीं किए गए।
कचरे की अवैध डंपिंग जब बोर्ड ने प्राधिकार पत्र देने से इनकार किया तो नगर निगम ने बिना वैध स्वीकृति के ही ट्रेंचिंग ग्राउंड पर कचरा फेंकना शुरू कर दिया। पिछले 18 साल से निगम नान्ता में रोजाना 551 मीट्रिक टन से ज्यादा कूड़े की अवैध डंपिंग कर रहा है। इसका खामियाजा यहां 10 किमी के दायरे में रह रहे लोगों को उठाना पड़ रहा है, क्योंकि कचरे का निस्तारण न होने से इलाके की जमीन, पानी और हवा तक जहरीली हो गई। आलम यह कि नान्ता कुन्हाड़ी इलाके में प्रदूषण की वजह से घर-घर में कई घातक बीमारियां फैल गई।
राजनीति भी हुई
हाईपावर कमेटी के निर्देश के बाद तत्कालीन जिला कलक्टर मुक्तानंद अग्रवाल ने नया ट्रेंचिंग ग्राउंड बनाने के लिए पांच कमेटियां गठित कीं। इस टीम ने जहां भी जमीनें चिह्नित की वहीं सियासी विरोध शुरू हो गया, हालांकि इनमें रूपारेल गांव की 39 हेक्टेयर जमीन सबसे मुफीद थी, क्योंकि इसके आसपास आबादी न होने और तीन किमी तक जंगल थे। भूमि पर राजस्व विभाग का मालिकाना हक था, लेकिन तब विधायक कल्पना देवी ने कलक्टर को सार्वजनिक कार्यक्रम में ही आड़े हाथों ले लिया। इसके बाद प्रशासन इस जमीन की संस्तुति करना तो दूर पांच महीने में कोई भी नई जमीन चिह्नित नहीं कर सका है।
मुकदमा और फटकार बेअसर
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने तत्कालीन निगम आयुक्त जुगल किशोर मीणा के खिलाफ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज करा दिया, लेकिन हालात इसके बाद भी नहीं सुधरे। राजस्थान पत्रिका ने 26 अप्रेल को 'कूड़े के ढ़ेर पर शहर, आपराधिक मामला दर्ज होने के बाद भी बेखौफ अफसरÓ प्रकाशित की तो उसका संज्ञान ले एनजीटी की द्वारा गठित की गई उच्च स्तरीय स्टेट सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रेग्युलेटरी कमेटी के चेयरमैन जस्टिस दीपक माहेश्वरी ने नगर निगम और जिला प्रशासन को जमकर फटकार लगाई। इतना ही नहीं कमेटी ने नान्ता स्थिति ट्रेंचिंग ग्राउंड में कूड़े की डंपिंग बंद करने और जल्द दूसरी जगह तलाश नया ट्रेंचिंग ग्राउंड बनाने के निर्देश भी दिए।
Published on:
13 Oct 2019 06:40 pm
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