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सांगोद में खाड़े के न्हाण की रंगत आज से

बारह भाले की सवारी शाम पांच बजे पूजा अर्चना के साथ दाऊजी के मंदिर से शुरू होगी, जो जामा मस्जिद, पुराना बाजार होते हुए खाड़ा स्थल पहुंचेगी

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सांगोद में खाड़े के न्हाण की रंगत आज से

सांगोद में खाड़े के न्हाण की रंगत आज से

सांगोद (कोटा). यहां पांच दिवसीय न्हाण लोकोत्सव में बुधवार से न्हाण खाड़ा अखाड़ा चौबे पाड़ा की बारह भाले की सवारी के साथ ही खाड़े के न्हाण की रंगत बिखरेगी। इससे पूर्व आयोजन को लेकर यहां खाड़ा पक्ष के पंच पटेल समेत स्वांग लाने वाले कलाकार अपनी तैयारियों में जुटे नजर आए। बारह भाले की सवारी शाम पांच बजे पूजा अर्चना के साथ दाऊजी के मंदिर से शुरू होगी, जो जामा मस्जिद, पुराना बाजार होते हुए खाड़ा स्थल पहुंचेगी। इस दौरान यहां सवारी के संवेदनशील स्थल लुहारों के चौक में बेरिकेङ्क्षटग के साथ पुलिस का तगड़ा बंदोबस्त रहेगा। सवारी के बाद खाड़ा परिसर में जादुई एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। गुरुवार तड़के भवानी की सवारी निकलेगी, जो होली के चौक से शुरू होकर गढ़ चौक होते हुए खाड़ा स्थल पहुंचेगी।

सांगाजी महाराज का किया पूजन : खाड़े के न्हाण के पूर्व परम्परानुसार मंगलवार रात यहां सांगाजी महाराज की पूजा -अर्चना की गई। इससे पूर्व बड़ी संख्या में लोग गणेशकुंज से जुलूस के रूप में सांगा पाड़ा पहुंचे। यहां खाड़ा एवं बाजार पक्ष के लोगों ने सांगाजी महाराज की पूजा अर्चना की। जुलूस में डीजे पर बजते न्हाण के लोकगीतों एवं फिल्मी गीतों पर नृतकों ने नृत्य किया। सांगाजी महाराज के नाम पर ही सांगोद कस्बे का नामकरण हुआ है। ऐसे में खाड़े के न्हाण के पूर्व सांगा पाड़ा में स्थित सांगाजी गुर्जर की प्रतिमा की पूजा अर्चना की जाती है। जुलूस में थानाधिकारी राजेश सोनी पुलिस जाप्ते के साथ मौजूद रहे।

खर्चा भी लोगों का अपना-अपना - एक अनुमान के मुताबिक लोकोत्सव के पांच दिनों में 35 से 40 लाख रुपए का खर्चा होता है। यह भी लोग अपने स्तर पर करते हैँ। उमराव बनने में ही दस से बीस हजार रुपए तक खर्च हो जाते है। स्वांगों में भी कलाकार अपना खर्चा स्वयं करते है। टैंट, माइक, बैण्डबाजे एवं अन्य सामूहिक व्यवस्थाओं का खर्चा दोनों पक्ष अपने -अपने पक्ष के लोगों से चंदा एकत्रित कर करते हैँ।

कई विशेषताएं समेटे है न्हाण : कई खूबियां सांगोद के न्हाण लोकोत्सव को हाड़ौती में अपनी एक अलग पहचान और महत्व दिए हुए है। न्हाण ऐसा आयोजन है, जिसका ना प्रसार होता और नाहीं कोई निमंत्रण पत्र। बावजूद इसके लाखों लोग पांच दिनों में आयोजन में शामिल होते हैं। हैरत वाली बात यह है कि इतने बड़े आयोजन की कोई समिति या आयोजक भी नहीं होता। पुलिस एवं प्रशासन की भूमिका भी सिर्फ दोनों पक्षों में शांतिपूर्ण आयोजन पर रहती है।

घर-घर में मेहमान : बरसों पहले यूं तो न्हाण लोकोत्सव की शुरूआत चौधरी पाड़ा से हुई, लेकिन खाड़े के न्हाण की महत्ता इस लोकोत्सव में ज्यादा समझी जाती है। इस दौरान यहां कई घर मेहमानों से अटे रहते हैं। जगह -जगह सेव व जलेबी की दुकानें नजर आती है। बादशाह की सवारी में हर साल हजारों लोगों की भागीदारी रहती है। इस दौरान दुकानों पर सेव- जलेबी की ङ्क्षक्वटलों में बिक्री होती है।