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कोटा की मिट्टी ने उपजी केसर, मुकुन्दरा के पड़ोस में क्यारियां

अब केसर की खेती देखने के लिए कश्मीर जाने की जरूरत नहीं, हाड़ौती-मालवा की धरती भी केसरियां फूल पैदा कर रही हैं। कोटा जिले के मोड़क व चेचट के किसानों ने केसर की खेती है।

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कोटा की मिट्टी ने उपजी केसर, मुकुन्दरा के पड़ोस में क्यारियां

कोटा.

केसर का नाम आते ही हर किसी के जेहन में कश्मीर की क्यारियां आ जाती हैं। जाहिर है, उन्हें देखने की तलब भी। लेकिन जनाब, अब केसर की खेती देखने के लिए कश्मीर जाने की जरूरत नहीं, हाड़ौती-मालवा की धरती भी केसरियां फूल पैदा कर रही हैं। जी हां, कोटा जिले के मोड़क व चेचट के किसानों ने आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर केसर की खेती है। इन दिनों ये किसान इसके फूल तोडऩे में मशगूल हैं।

घर के आंगन में किया प्रयोग
मोड़क क्षेत्र के किसान अब केसर की खेती करने लगे हैं। फ तेहपुर कस्बे निवासी किसान रंगलाल सुमन ने विषम परिस्थितियों के बावजूद केसर की खेती कर क्षेत्र के अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है। वर्तमान में रंगलाल के खेत में केसर की पौध में फ ूल आ रहे हैंं। इन फूलों की तुड़ाई का कार्य भी शुरू हो गया है। किसान रंगलाल सुमन ने बताया कि साल भर पहले वह चित्तौडगढ़़ के सांवलियाजी जा रहा था। रास्ते में एक खेत में कैसर के पौधे देखे तो खेत मालिक किसान से जानकारी ली। उसने विस्तार से केसर की खेती के बार में बताया। रंगलाल ने पूरी विधि समझ केसर की खेती करने की ठानी। किसान से पचास ग्राम बीज लाकर घर के आंगन में बुवाई की। रंगलाल लगातार किसान के सम्पर्क में रहा। उसके निर्देशानुसार फ सल में निराई- गुऱाई व सिंचाई करते रहे। वर्तमान में रंगलाल आधा किलो तक फूल तोड़ चुका है। इससे अब केसर प्राप्त होगी। अच्छे मिलते हैं दामरंगलाल के मुताबिक केसर दिल्ली में साठ हजार से एक लाख रुपए किलो तक बिकेगी। वहीं फ सल से प्राप्त बीज भी बाजार में महंगे दामों पर बिकता है। रंगलाल ने बताया कि केसर की खेती करने व प्राप्त परिणामो से वह काफ ी उत्साहित है। अगले वर्ष इसे बड़े स्तर पर करेगा।

चार फीट तक हो गए पौधे
चेचट क्षेत्र में भी जम्मू-कश्मीर में पैदा होने वाली केसर को नई तकनीक जान कर क्षेत्र के मवासा गांव के किसान ने अपने खेत में उगाया है। मवासा निवासी घनश्याम बैरवा ने बताया कि वह दरा के निकट पदमपुरा गांव के जंगल में घूमने गए थे। वहां हेमराज मीणा के खेत में केसरिया फूल के पौधे देखे तो जानकारी ली। घर आकर उनके भी मन में केसर की खेती करने की इच्छा जगी। उन्होंने वापस जाकर किसान से सम्पर्क किया। केसर की खेती करने के बारे में समझा। किसान से दो हजार रुपए का बीज लाकर अपने खेत की पांच सारणी में बोया। यह इस समय तीन से चार फीट के पौधे हो गए। डोडों के ऊपर केसर की फूल आ रहे हैं। उन्होंने अब तक आधा किलो फूल तोड़ लिए हैं।