30 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अब रावतभाटा में भी फैली स्ट्राबेरी की महक

सेहत और स्वाद : महिला किसान का नवाचार, कर रही स्ट्राबेरी की खेती

2 min read
Google source verification
अब रावतभाटा में भी फैली स्ट्राबेरी की महक

अब रावतभाटा में भी फैली स्ट्राबेरी की महक

रावतभाटा. स्ट्राबेरी पहाड़ी क्षेत्रों की फ़सल मानी जाती है, लेकिन अब रावतभाटा में भी इसकी खेती शुरू हो गई। महिला किसान सुशीला निषाद की पांच सालों की मेहनत अब रंग लाई है। भैंसरोडगढ़ के समीप उनके फार्म हाउस पर स्ट्राबेरी की फ़सल लहलहा रही है। खरीदार फार्म हाउस पहुंच रहे है। कोटा मंडी तक उनकी स्ट्राबेरी की मांग है। शुरुआत में फ़सल का मुनाफा उम्मीद के मुताबिक नहीं हुआ, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। महाबलेश्वर से वह पौध मंगाकर खेती कर रहे है। आधुनिक खेती के बावजूद फ़सल की कम क़ीमत मिलने पर उनके मन में कसक तो है पर हिम्मत में कोई कमी नहीं। कृषि वैज्ञानिकों की सलाह और सम्पर्क से वह आगे बढ़ती जा रही है। फार्म हाउस पर ही एक कमरे पर उनका परिवार स्ट्राबेरी की छंटाई और पेकिंग में सहायता करता है।
कृषि से लगाव पारिवारिक

सुशीला निषाद की पारिवारिक पृष्ठभूमि कृषि आधारित होने से विवाह के बाद परमाणु बिजलीघर कॉलोनी में वह बंधी नहीं रही। भैंसरोडगढ़ के पास जमीन खरीद कर फार्म हाउस बनाया और कुछ अलग करने की ठान ली। निम्बाहेड़ा तहसील के कनेरा गांव में स्ट्राबेरी की खेती होने की जानकारी मिली तो पति के साथ साइट विजिट किया। क्लाइमेट का पता किया तो कनेरा की तरह ही यहां भी 20 से 30 डिग्री तापमान होना पाया गया। यह तापमान स्ट्राबेरी की खेती के लिए मुफिद होता है। शुरुआत 12 हज़ार पौधे लगाकर की। पांच सालों में यह बढ़कर 30 हज़ार हो गए है। पहले साल विंटर किस्म लगाई। दूसरे साल फैलविया, नवेला और केमरोज़ा किस्म लगाई। इस बार मलीशा किस्म की पौध लगाई इसके फल अच्छे मीठे और टिकाऊ है।
सभी कर सकते हैं स्ट्राबेरी की खेती

स्ट्राबेरी को मुनाफेदार फसलों की श्रेणी में गिना जाता है। पूरी दुनिया में इसकी कुल 600 किस्म मौजूद है। भारत में इसकी कुछ प्रजातियों की खेती की जाती है। इसकी खेती सामान्य तरीकों के साथ - साथ पॉली हाउस, हाइड्रोपॉनिक्स से खेती की जाती है। सुशीला निषाद ने एक एकड़ में यह खेती कर रखी है। निषाद पूरी तरह आर्गेनिक उत्पाद का खेती में उपयोग करने के साथ कृषि विशेषज्ञ घनश्याम सैनी का मार्गदर्शन लेती है। उनके सास ससुर, बेटा और पति भी उनका सहयोग करते है। अक्टूबर माह में लगाई पौध पर फ़रवरी के प्रथम पख़वाड़े में स्ट्राबेरी फल लद गए है।
महिला कृषक सुशीला निषाद ने बताया कि अलग हटकर करने की चाह थी इसलिए स्ट्राबेरी की खेती करना शुरू की। शुरुआत में लागत भी नहीं निकली। अब कुछ ठीक हुआ है। ट्रांसपोर्टेशन सुविधा नहीं होने से उत्पाद जयपुर, दिल्ली तक नहीं पहुंच पाने से सही दाम नहीं मिल पा रहा है। हम खेती में नवाचार कर सीखने का प्रयास कर रहे है।