
अच्छी खबरः मुकुंदरा को आबाद करने के लिए एनटीसीए ने भी दी हरी झंडी
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व को आबाद करने के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने भी रणथंभौर टाइगर रिजर्व से दो बाघिन और एक बाघ को यहां बसाने की मंजूरी दे दी है। मुकुंदरा में सांभर और चीतल बसाकर बाघों के खाने का पर्याप्त इंतजाम सरकार पहले ही कर चुकी है।
राजस्थान के तीसरे टाइगर रिजर्व मुकुंदरा हिल्स में भी दिसंबर तक बाघों की दहाड़ सुनाई देगी। केंद्र सरकार की हरी झंडी के बाद मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व को आबाद करने के लिए एनटीसीए ने भी मंजूरी जारी कर दी है। इसके बाद अब रणथंभौर से बाघों का विस्थापन करने का रास्ता साफ हो गया है। मुकुंदरा के डीसीएफ एसआर यादव ने बताया कि एनटीसीए ने पहले दिसंबर 2018 तक मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघ छोड़ने के निर्देश दिए थे। शुक्रवार को दिल्ली में दोबारा बैठक हुई जिसमें तैयारियों से संतुष्ट होकर एनटीसीए की टेक्नीकल कमेटी ने इस इंतजार को एक साल कम करते हुए दिसंबर 2017 तक बाघ लाने की अनुमति जारी कर दी है।
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पहले फेज में आएंगे तीन टाइगर
डीसीएफ एसआर यादव ने बताया कि एनटीसीए की टेक्नीकल कमेटी ने पहले फेज में मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में तीन टाइगर लाने की अनुमति दी है। इसके बाद अब रणथंभौर टाइगर रिजर्व से एक बाघ और दो बाघिनों को यहां लाकर बसाने की तैयारी शुरू कर दी जाएगी। तीनों बाघों के लिए मुकुंदरा में प्रीबेस पूरी तरह तैयार है।
वन्यजीव-पर्यटक प्रेमियों ने जताई खुशी
मुकुंदरा के आबाद होने का रास्ता साफ होते ही कोटा के वन्य जीव प्रेमियों के बीच जश्न का माहौल है। लंबे समय से मुकुंदरा को आबाद करने की लड़ाई लड़ रहे डॉ. सुधीर गुप्ता ने एनटीसीए के इस फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि रणथंभौर में बाघों की आबादी इतनी ज्यादा हो गई है कि वहां से दर्जन भर टाइगर को विस्थापित किया जा सकता है। जबकि मुकुंदरा में इन बाघों के विचरण के लिए जरूरत से ज्यादा जमीन, जंगल और खाने लायक वन्य जीव की मौजूदगी है। मुकुंदरा के आबाद होने से हाड़ौती की वाइल्ड लाइफ में नई जान पड़ जाएगी।
पर्यटकों की लगेगी भीड़
मुकुंदरा में बाघ बसाने के फैसले से पर्यटन विशेषज्ञ भी खासे खुश हैं। कोटा विश्वविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर और यूजीसी की रिसर्च अवार्डी डॉ. अनुकृति शर्मा कहती हैं कि मुकुंदरा में बाघ आने के बाद फैमिली टूरिस्ट पैकेज पूरी तरह कंपलीट हो जाएगा। हाड़ौती देश के उन गिने-चुने टूरिस्ट प्लेस में से एक होगा जहां पर हर आयु वर्ग और वैरायटी के टूरिस्ट के लिए सैर सपाटे के पूरे इंतजाम होंगे। बुजुर्गों के लिए ऐतिहासिक मंदिर, बच्चों के लिए वाटर स्पोर्ट्स और युवाओं के लिए सेविन वंडर जैसी जगह के साथ-साथ एडवेंचर के दीवानों के लिए चम्बल और वाइल्ड लाइफ के चाहने वालों के लिए मुकुंदरा होने के बावजूद काफी कम संख्या में टूरिस्ट आते थे, लेकिन जब टाइगर आएगा तो विविधताओं से भरे इस टूरिस्ट सिग्मेंट पर सभी का फोकस जाएगा। जिसके चलते लोग कोटा में कुछ घंटे बिताने की बजाय यहां ठहरकर छुट्टियां मनाने और पर्यटक स्थलों पर घूमने की प्लानिंग करेंगे। पर्यटन विकास के साथ ही पूरे इलाके में रोजगार के सुनहरे दिन आने वाले हैं।

Published on:
02 Sept 2017 10:03 am
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