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35 फीट ऊंचाई से गिरता है झरना, प्रकृति करती है शिवलिंग का जलाभिषेक, जानें राजस्थान में कहां है ये शानदार जगह

Best Place To Visit In Sawan 2025:पाड़ाझर महादेव झरने के लिए दो रास्ते हैं। एक रास्ता रावतभाटा से लुहारिया मार्ग होकर जाता है, जिसके लिए आप निजी वाहन से ही जा सकते हैं। यहां पर भी बारिश में नाला आता है, इसलिए सावधानी जरूरी है।

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कोटा

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Akshita Deora

Jul 11, 2025

पाड़ाझर महादेव (फोटो: पत्रिका)

Padajhar Mahadev: रावतभाटा से 20 किलोमीटर दूर स्थित धार्मिक और पर्यटन स्थल पाड़ाझर महादेव मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना है। गुफा में स्थित महादेव के शिवलिंग पर प्राकृतिक रूप से जलधारा गिरती है। यहां करीब 35 फीट की ऊंचाई से झरना साल में दस महीने गिरता रहता है। बारिश में तो यह झरना पूरे वेग से बहता है। यहां कोटा, बूंदी, चित्तौड़गढ़, रामगंजमंडी, नीमच, सिंगोली से सावन माह में काफ़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। जो दर्शन करने के साथ-साथ झरने में नहाने व पिकनिक का आनंद उठाते हैं। यह क्षेत्र भैंसरोडगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में है। यहां वन विभाग पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई कार्य करने जा रहा है।

यहां से जाए पाडाझर

पाड़ाझर महादेव झरने के लिए दो रास्ते हैं। एक रास्ता रावतभाटा से लुहारिया मार्ग होकर जाता है, जिसके लिए आप निजी वाहन से ही जा सकते हैं। यहां पर भी बारिश में नाला आता है, इसलिए सावधानी जरूरी है। दूसरा रास्ता राणा प्रताप सागर बांध, सेटलडैम होकर चैनपुरा गांव से जाता है। यहां आप सीधा वाहन लेकर जा सकते हैं, लेकिन नाला आने के कारण आप गुफा में नहीं जा सकते। पाड़ाझर झरने के नैसर्गिक सौंदर्य का अवलोकन कर सकते हैं। तेज बारिश में ही रपट पर पानी आता है, जिससे रास्ता बंद हो जाता है। झरने के पास जाना और नहाना मना है। आप दूर से सिर्फ इसका नैसर्गिक सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं।

झरने के नीचे आदिमानव की गुफाएं

पाड़ाझर महादेव झरने के नीचे आदिमानव काल की गुफाएं हैं। कहा जाता है कि यहां कई ऋषि-मुनियों ने सालों तक तपस्या की है। आदिकाल की गुफाएं आज भी सुरक्षित हैं। यहां वन्यजीवों का भी डेरा रहता है। पक्षियों के लिए यह शरण स्थली है। यहां पर्यटन का विकास हो जाए तो यह राजस्थान का सबसे खूबसूरत स्थल बन सकता है। पाड़ाझर महादेव झरने के नीचे गुफा में महादेव स्थापित हैं। शिवलिंग पर प्रकृति जल चढ़ाती है। यह गुफा 30 मीटर से भी लंबी है। यहां पवित्र कुंड है और मंदिर बना हुआ है। नीचे गुफा में जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई हैं।