
झालावाड़/झालरापाटन. नवाजत बेटियों की हत्याओं के लिए बदनाम राजस्थान ने International Day of the Girl Child पर पूरे देश का सिर शर्म से झुका दिया। झालावाड़ जिले के झालरापाटन कस्बे में 7 दिन पहले जन्मी को उसके मां-बाप ने ही गड्ढे में जिंदा गाड़ दिया। मासूम बच्ची की किलकारियां सुनकर आसपास के लोग उसे बचाने के लिए दौड़े। गड्ढा खोदकर बच्ची को बाहर निकाला और अस्पताल भी ले गए, लेकिन मासूम बेटी को बचाया ना जा सका।
अपनों की ठुकराई नवजात ने आहत होकर बेरहम दुनिया ही छोड़ दी। माता-पिता द्वारा पत्थर रख जंगल में मरने के लिए छोड़ी गई नवजात की मंगलवार रात जनाना अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई। पुलिस ने बुधवार को मानव वध का मामला दर्ज कर माता-पिता को एसीजेएम कोर्ट झालरापाटन में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया।
इस दौरान जब पिता वीरमलाल से इस कृत्य के बारे में पूछा तो वह हाथ जोड़कर खड़ा हो गया। यह कहता रहा कि बाबूजी गलती हो गई। मेरे छह बच्चे हैं। तीन की तो शादी कर चुका हूं। पत्नी की नसबंदी कराए भी दस साल हो गए। छह महीने पहले पता चला कि पत्नी गर्भवती है। लोक लाज के डर से घरवालों से यह बात छिपाए रखी। जन्म देने के बाद उसे छोड़कर जा रहे थे। माफ कर दो गलती हो गई।
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झालरापाटन शहर थाना प्रभारी हीरालाल सैनी ने बताया कि बकानी थाना क्षेत्र के थोबडिय़ा निवासी हालमुकाम झालावाड़ कोतवाली क्षेत्र के जामुनिया निवासी वीरम लाल की पत्नी सौरम बाई ने 4 अक्टूबर को झालावाड़ जनाना चिकित्सालय में बालिका को जन्म दिया। 10 अक्टूबर को डिस्चार्ज होने के बाद प्रसूता पति के साथ थोबडिय़ा जाने के लिए झालावाड़ से मिनी बस से रवाना हुई, लेकिन वे गिन्दौर तिराहा पर उतर गए।
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यहां से जंगल की ओर सुनसान जगह पर पत्थर की आड़ में नवजात को छोड़कर चल दिए। पास ही मजदूरी कर रहे कुछ लोगों ने उन्हें देखा दंपती को पकड़ लिया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने नवजात को झालावाड़ जनाना अस्पताल में भर्ती कराया, जहां रात उसकी मृत्यु हो गई।
Updated on:
11 Oct 2017 11:09 pm
Published on:
11 Oct 2017 03:07 pm
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