खुलासा: समय से पहले बूढ़े हो रहे कोटा के लोग, विकृत हो रहे नाजुक अंग और थम रहा बच्चों का दिमागी विकास
कोटा के लोगों की औसत आयु 67 से बढ़कर 73 साल हो गई है, लेकिन उम्र बढऩे के साथ ही बीमारियों का बोझ भी बढ़ गया।

कोटा . थर्मल पॉवर प्लांट से निकलने वाला धुआं कोटा के लोगों की हड्डियां खोखली कर रहा है। बच्चों में मानसिक विकार पैदा हो रहे और लोग वक्त से पहले ही बूढ़े और बीमार होने लगे हैं। धुएं का असर इंसान ही नहीं, जानवरों और फसलों पर भी है। इंटरनेशनल जर्नल फ्लोराइड के रीजनल एडिटर और मानव विकृत हीमोग्लोबिन सी की खोज करने वाले एमेरिटस प्रोफेसर डॉ. शांतिलाल चौबीसा के शोध में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक पिछले एक दशक में कोटा के लोगों की औसत आयु 67 से बढ़कर 73 साल हो गई है, लेकिन उम्र बढऩे के साथ ही बीमारियों का बोझ भी बढऩे लगा। इन सालों में डायबिटीज रोगियों की संख्या में 109 फीसदी तथा मांसपेशियों और हड्डियों की बीमारियों में 110फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई।
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कई साल तक चले डॉ. चौबीसा के शोध में साबित हुआ कि कोटा थर्मल पॉवर प्लांट से निकलने वाला धुआं लोगों की हड्डियों को खोखला बना रहा है। इस धुएं से न सिर्फ दांत और हड्डियां टेड़ी हो रही हैं, बल्कि शरीर के अन्य नाजुक अंग भी विकृत हो रहे।
सांसों में घुल रहा फ्लोराइड
शोध के दौरान पता चला कि थर्मल प्लांट में इस्तेमाल होने वाले पत्थर के कोयले के जलने पर फ्लोराइड का उत्सर्जन हो रहा है। फ्लोराइडयुक्त धुआं न केवल वायुमंडल, बल्कि आसपास की मिट्टी, जलस्त्रोतों, पेड़ पौधों और फसलों को भी दूषित कर रहा। लंबे समय तक धुएं के संपर्क में रहने वाले लोग फ्लोरोसिस के शिकार हो रहे। डॉ. चौबीसा ने इसे नाइबरहुड फ्लोरोसिस नाम दिया।
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नहीं जांच का कोई इंतजाम
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने वर्ष 1998 में इंडस्ट्रीयल फ्लोराइड उत्सर्जन की अधिकतम सीमा 25 मिलीग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तय की, लेकिन कोटा थर्मल की चिमनियों के दायरे में आने वाले इलाके में यह साल के 7 महीने इस तय मापदंड से दुगुनी से भी ज्यादा हो जाती है। वहीं डब्ल्यूएचओ के मुताबिक पेयजल और हवा में फ्लोराइड की अधिकतम मात्रा 1 पीपीएम (पार्ट पर मिलियन) तय है, यह भी बढ़कर 2 से 2.5 पीपीएम तक पहुंच जाती है। डॉ. चौबीसा बताते हैं कि स्थिति इतनी गंभीर होने के बावजूद सरकारी स्तर पर कोटा थर्मल के धुएं में फ्लोराइड उत्सर्जन की नियमित जांच के कोई इंतजाम ही नहीं हैं।
नाइबरहुड फ्लोरोसिस: समझिये असर और निदान
शिकायत एेसी...
आंखों में जलन, सूजन और लालपन
त्वचा में रुखापन और खिंचाव
जोड़ों में दर्द, हड्डियां कमजोर और टेढ़ी होने लगती हैं
सांस की बीमारियां, दमे जैसा अटैक
सर्दियों और सुबह के समय सांस में तकलीफ
बचाव के घरेलू उपाय
नाइबरहुड फ्लोरोसिस से बचने के लिए विटामिन सी एंटी डोज का काम करती है
विटामिन सी युक्त चीजों आंवला, संतरा और नींबू का सेवन बढ़ाएं
हरी और पत्तेदार सब्जियां, दूध और दही का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें
लेकिन पहले तय कर लें कि फसल और पशु भी फ्लोरोसिस की चपेट में तो नहीं
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