
कोटा. Rajasthan Election 2023: इस बार एक विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधि चुनने में भारत निर्वाचन आयोग करीब एक करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च करेगा। यह राशि चुनाव से पहले होने वाली तैयारियों से लेकर जन जागरूकता और मतगणना तक खर्च होती है। इतनी बड़ी राशि आम जनता की जेब से होकर ही सरकार तक पहुंचती है। इसलिए अपने जनप्रतिनिधि का चुनाव करते समय स्वच्छ छवि के समझदार व ईमानदार प्रतिनिधि को वरीयता देना बहुत जरूरी है।
2018 में हुए थे साढ़े पांच करोड़ से ज्यादा खर्च -कोटा जिले के 6 विधानसभा सीटों पर वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में साढ़े 5 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च हुई थी। चुनाव आयोग का अनुमान है कि इस वर्ष यह राशि 8 करोड़ रुपए तक खर्च हो सकती है। इसमें विधानसभा चुनाव पूर्व तैयारियों से लेकर मतगणना तक के सरकार की ओर से किए जाने वाले तमाम खर्चे इसमें शामिल है।
प्रति मतदाता करीब 52 हजार खर्च
04 लाख रुपए मतदाता पर्ची व स्टेशनरी पर
10 लाख रुपए सीसीटीवी, वीडियोग्राफी व वेब कास्टिंग पर
15 लाख रुपए मानदेय पीठासीन अधिकारी और कर्मचारियों को 1439 बूथों के अनुसार करीब 15 लाख रुपए)
05 लाख रुपए वाहन खर्च, इसमें ईवीएम से लेकर कर्मचारियों व अधिकारियों के वाहन शामिल
06 लाख रुपए मतगणना व अन्य दिनों में खाने व चाय पर
35 लाख रुपए टेंट, लाइट व साउंड पर
10 लाख रुपए स्वीप की गतिविधियों पर
10 लाख रुपए पीडब्लयूडी व 80 वर्ष से अधिक के बुजुर्गों को लाने- ले जाने पर
10 लाख रुपए बेरीकेडिंग पर
10 लाख रुपए सुरक्षा बल के वेतन, भत्तों और भोजन पर
05 अधिकारियों के ठहरने, वेब व्यवस्था समेत अन्य खर्चों पर
बढ़ाई खर्च सीमा
इस बार महंगाई को देखते हुए सरकार ने विधानसभा व लोकसभा प्रत्याशियों के लिए खर्च की सीमा गत चुनाव से बढ़ा दी है। जहां गत विधानसभा चुनाव में विधानसभा प्रत्याशी अधिकतम 28 लाख रुपए खर्च कर सकता है। इस बार वह 40 लाख रुपए खर्च कर सकेगा। इसी प्रकार लोकसभा प्रत्याशी जहां गत चुनाव में 70 लाख रुपए खर्च कर सकता है। इस बार वह 95 लाख रुपए खर्च कर सकेगा।
राजनीतिक दलों खर्च सीमा तय नहीं
विधानसभा और लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों के खर्च की सीमा भी सरकार ने तय कर रखी है, लेकिन राजनीतिक दलों के खर्च की कोई सीमा नहीं है। उन्हें बस अपने खर्च की जानकारी चुनाव आयोग को देनी होती है।
चुनाव में देश की बहुत बड़ी धनराशि खर्च होती है। इसलिए हर मतदाता की जिम्मेदारी है कि वो अपने मताधिकार का उपयोग पूरी सूझबूझ के साथ करे। बेहतर जनप्रतिधि का चयन होगा तो उससे क्षेत्र विशेष में बेहतर कार्य हो सकेंगे। चुनाव आयोग से लेकर प्रशासनिक अधिकारी व शिक्षाविद् मताधिकार के बेहतर उपयोग के लिए लोगों को समय-समय पर जागरूक भी करते हैं। लोगों को अपने अच्छे भविष्य के लिए अच्छी सरकार चुनने के लिए साफ छवि के ईमानदार व समझदार लोगों को आगे बढ़ाना होगा। जब साफ छवि के लोग आगे बढ़ेंगे, तो पार्टियों पर भी अच्छे लोगों को टिकट देने का दबाव बढ़ेगा। ऐसे में जाति, क्षेत्र, प्रलोभनों को छोड़ अच्छे प्रतिनिधि चु़नने होंगे।
आर.के. जायसवाल, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी
Updated on:
18 Oct 2023 11:40 am
Published on:
18 Oct 2023 11:38 am
बड़ी खबरें
View Allकोटा
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
