
Rajasthan election 2023 : एआईसीसी के मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने गुरुवार को कोटा दौरे के दौरान कहा कि भाजपा ध्रुवीकरण की और कांग्रेस सद्भावना की राजनीति करती है। राजस्थान में सबसे ज्यादा 16 दिन भारत जोड़ो यात्रा को भारी समर्थन मिला है। हम विधानसभा में पांच साल के कामों व गारंटी योजनाओं के आधार पर चुनाव लड़ रहे है, वहीं भाजपा राजस्थान में मुद्दाहीन है। भाजपा सरकार संविधान व संसदीय ढांचे पर आक्रमण कर रही है।
उन्होंने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा के बाद कनार्टक में कांग्रेस ने सरकार बनाई और अब राजस्थान समेत अन्य प्रदेशों में कांग्रेस पूरे बहुमत से सरकार बनाएगी। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा के तीन हथियार है पहला ईडी और सीबीआई, दूसरा ध्रुवीकरण की राजनीति और तीसरा प्रधानमंत्री का बार-बार लोगों से झूठ बोलना है। उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने कांग्रेस सरकार की खाद्य सुरक्षा योजना समेत कई योजनाओं के नाम बदल दिए है।
केंद्र कर रहा राज्य सरकार का असहयोग
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार राज्य सरकार का सहयोग नहीं कर रही। इसका खमियाजा राजस्थान की जनता को उठाना पड़ रहा है। उन्होंने ईआरसीपी योजना और कोटा में एयरपोर्ट बनाने में राज्य सरकार का सहयोग न करने की बात कही। उन्होंने कहा कि केंद्र की ओर से सेना भर्ती बंद किए जाने से राज्य के लाखों युवाओं के सेना में जाने के सपने टूट गए है।
अगले पांच साल के लिए सात वायदे
उन्होंने कहा कि राज्य में कांग्रेस सरकार बनने के बाद सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन, परिवार की मुखिया महिला को गृहलक्ष्मी योजना के तहत दस हजार रुपए सालाना, गोवंश पालकों से 2 रुपए गोबर खरीद, सरकारी कॉलेज में पहले साल के विद्यार्थियों को फ्री टेबलेट व लेपटॉप, प्राकृतिक आपदा के लिए हर पीडि़त परिवार को 15 लाख का फ्री बीमा, राज्य में 1.04 करोड़ लोगों को 500 रुपए में सिलेण्डर दिया जाएगा।
हिन्दी प्रिंट मीडिया आज भी सबसे विश्वसनीय
एआईसीसी के मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि मीडिया के बारे में पिछले 18 माह में मीडिया प्रभारी बनने के बाद यह अनुभव रहा है। कि हिन्दी और क्षेत्रीय भाषाओं के अखबारों में जिन मुद्दों को प्राथमिकता दी जाती है और अंग्रेजी मीडिया में जो मुद्दे प्रकाशित होते है। उनमें बहुत अंतर है। मैं रोज या दो दिन में हिंदी अखबार की विशेष खबर पर सोशल मीडिया पर चलाता हूं। इसमें बेरोजगारी, महंगाई, रेल यातायात जैसे आमजन से जुड़े मुद्दे होते है, जो अंग्रेजी अखबारों में नहीं होते। प्रिंट की तुलना में इलेक्ट्रानिक मीडिया में ऑब्जेविटी और संतुलन का अभाव है। डिजिटल पर स्थान अधिक है, लेकिन प्रिंट की तुलना में विश्वसनीयता कम है।
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Published on:
17 Nov 2023 12:21 am
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