
Rajasthan government has less budget to celebrate Nehru's birthday
राजस्थान के स्कूलों में इस बार बाल दिवस की सिर्फ रस्म अदा होगी। चाचा नेहरू का जन्म दिन मनाने के लिए इस बार बजट का टोटा पड़ गया है। राजस्थान सरकार ने प्राथमिक स्कूलों में दो दर्जन से ज्यादा कार्यक्रमों का आयोजन करने के लिए 203 रुपए का बजट जारी किया है। जबकि उच्च प्राथमिक स्कूलों में 356 रुपए में बाल दिवस मनाया जाएगा।
203 रुपए में मनेगा बाल दिवस
देश के पहले प्रधानमंत्री और बच्चों के चाचा नेहरू का जन्म दिन मनाने के लिए राजस्थान सरकार के पास पैसों की कमी पड़ गई। हर साल स्कूलों में 14 नवम्बर को बड़े पैमाने पर बाल दिवस का आयोजन होता है, जिसके लिए सरकार की ओर से बजट जारी किया जाता है। इस बार राजस्थान सरकार ने बाल दिवस के आयोजन के लिए राजकीय प्राथमिक स्कूल को सिर्फ 203 रुपए और उच्च प्राथमिक स्कूलों को एसएमसी खातों में 356 रुपए की राशि दी जाएगी।
दो दर्जन से ज्यादा होंगे आयोजन
राजस्थान सरकार ने भले ही बाल दिवस के बजट में खासी कटौती कर दी हो, लेकिन इस मौके पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की सूची में किसी तरह की कोई कमी नहीं की गई है, बल्कि उसे और बढ़ा दिया गया है। सरकार की ओर से जारी कार्यक्रम सूची के मुताबिक बाल दिवस पर जेंडर संवेदनशीलता, समावेशन, अनिवार्य बाल शिक्षा, स्वच्छ भारत मिशन, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ आदि विषयों पर गोष्ठियां, वाद-विवाद और पोस्टर प्रतियोगिताओं का आयोजन होगा। इसके अलावा वाद विवाद, आशु भाषण, निबंध, प्रश्नोत्तरी, अंग्रेजी एवं हिन्दी में अंताक्षरी के अलावा खेलों में खो-खो, कबड्डी, चम्मच दौड़, दौड़, रूमाल झपट्टा गायन आदि कार्यक्रम होंगे। समारोह के बाद स्कूल प्रबंधन समितियों (एसएमसी) की बैठक की जानी है। जिसमें विद्यालय व्यवस्थाओं पर चर्चा कर प्रगति के रास्ते तलाशने हैं।
जलपान का भी करना होगा इंतजाम
सरकार की ओर से जारी बाल दिवस के कार्यक्रमों का शिड्यूल स्कूलों के गले की फांस बन गया है। प्रतियोगिताओं के आयोजन के दौरान स्कूल में पढ़ रहे छात्रों के अभिभावकों और जनप्रतिनिधियों को भी आमंत्रित करना होगा। इनके जलपान, स्वागत और विजेता बच्चों को पुरस्कार प्रदान करने का खर्च भी स्कूल को इन्हीं 203 या 356 रुपए में से ही करना होगा।
भामाशाहों की तलाश में जुटे अफसर
सरकार की ओर से जारी बजट और कार्यक्रम सूची मिलने के बाद सरकारी स्कूलों के शिक्षकों ने बाल दिवस का आयोजन कराने से ही हाथ खड़े कर दिए हैं। अधिकांश स्कूल के शिक्षकों का कहना है कि सरकार ने बाल दिवस के नाम पर बच्चों के साथ बड़ा मजाक किया है। जितना पैसा दिया गया है उतने में तो बच्चों को एक-एक लड्डू देना तक असंभव है। ऐसे में सूची में दिए गए कार्यक्रमों का आयोजन करने का तो सवाल ही नहीं उठता। शिक्षकों के विरोध के बाद अब शिक्षा विभाग के अधिकारियों की जान आफत में फंस गई है। सांगोद के बीईईओ शिवराज पंकज कहते हैं कि बाल दिवस समारोह के लिए जारी बजट अभी तक नहीं मिला है। जारी बजट में ही कार्यक्रम सम्पन्न करने होंगे। ऐसी स्थिति में भामाशाहों की भी इसमें मदद ली जा सकती है।
Published on:
03 Nov 2017 01:04 pm
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