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Big News: एक हजार करोड़ का Lollipop वो भी निकला कड़वा, देखिए सरकार की कारस्तानी…

राज्य सरकार का अंतिम बजट सत्र शुरू हो गया है, लेकिन कड़वी हकीकत ये कि पिछले साल की बजट घोषणाएं ही अभी तक धरातल पर नहीं उतरी हैं।

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कोटा

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Zuber Khan

Feb 07, 2018

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कोटा . राज्य सरकार का अंतिम बजट सत्र शुरू हो गया है, 12 फरवरी को राज्य बजट पेश होना है लेकिन कड़वी हकीकत ये कि पिछले साल की बजट घोषणाएं ही अभी तक धरातल पर नहीं उतरी हैं। बजट घोषणाओं के काम कब पूरे होंगे, इसका जवाब देने वाला तक कोई नहीं। पिछले बजट में हाड़ौती के लिहाज से सबसे बड़ी घोषणा परवन वृहद सिंचाई परियोजना को लेकर हुई थी, लेकिन स्थिति यह कि इस परियोजना का काम गति ही नहीं पकड़ पाया। पिछले दिनों सरकार ने वाहवाही लूटने के लिए इस परियोजना का पुन: शिलान्यास किया। घोषणाओं के लिहाज से कोटा बैराज और चंबल नहरों के जीर्णोद्धार में भी हाड़ौती ठगा सा ही महसूस कर रहा है।

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परवन परियोजना: पत्थर लगाकर लूटी वाहवाही
दो दशक से लम्बित इस परियोजना के लिए पिछले बजट में राज्य सरकार ने 1000 करोड़ रुपए की घोषणा की, जबकि पांच साल पहले ही इसकी लागत 2400 करोड़ से अधिक आंकी गई थी। बजट में इसे राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित करने की मांग का प्रस्ताव भी केन्द्र को भेजने की घोषणा की गई, लेकिन अभी तक यह राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं हुई। परियोजना से झालावाड़, बारां और कोटा जिले के करीब 800 गांवों को पेयजल की उपलब्धता के साथ-साथ 2.06 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई सुविधा मिलेगी। यहां 462 मिलियन क्यूबिक पानी की क्षमता वाले 2435.93 करोड़ की लागत से बनने वाले बांध की स्वीकृति केन्द्र ने वर्ष 2013 में प्रदान कर दी गई थी।

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कोटा बैराज: 6 करोड़ की बातें, किया कुछ नहीं
कोटा बैराज के लिए करीब 6 करोड़ रुपए खर्च किए जाने थे। गेटों की मरम्मत, लोहे के तारों को बदलने तथा अन्य आवश्यक कार्य किए जाने थे। लेकिन, अभी तक काम शुरू नहीं हुआ। विश्व बैंक के माध्यम से चम्बल के बांधों का जीर्णोद्धार का कार्य किया जाएगा। हाल में जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता ने कोटा बैराज, जवाहर सागर बांध तथा राणा प्रताप सागर बांध का दौराकर क्या-क्या काम प्रथामिकता से करवाए जाने हैं, इस बारे में अभियंताओं को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

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चंबल नहरें: सवा सौ करोड़ दिए, टेंडर ही नहीं हुए
चम्बल के जर्जर नहरी तंत्र को दुरुस्त करने के लिए पिछले बजट में सवा सौ करोड़ रुपए देने की घोषणा हुई। स्थिति यह है कि अभी टेण्डर तक नहीं हुए। राशि कागजों में दबी पड़ी है। पिछले दिनों विभाग के मंत्री ने इस पर अभियंताओं को कड़ी फटकार लगाई। अधिकारियों का तर्क है कि नहरों में जल संचालन बंद होने के बाद टेण्डर कर काम शुरू करवाया जाएगा।